मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा है कि क्रूज जहाज पर छापे के बाद आर्यन खान (Aryan Khan), सह-आरोपी मुनमुन धमेचा (Munmun Dhamecha) और अरबाज मर्चेट (Arbaaz Merchant) के खिलाफ दर्ज मामले में ‘साजिश’ (Conspiracy) और तीनों की ‘एक जैसी मंशा’ (Common intention) से संबंधित आरोपों की पुष्टि के लिए कोई ‘प्रथम दृष्टया सबूत’ नहीं मिला (No evidence) था।
न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे ने 14 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाते हुए कहा कि एनसीबी द्वारा रिकॉर्ड में लाई गई सामग्री को देखते हुए अदालत ने पाया है कि तीनों आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सकारात्मक सबूत नहीं था।
आर्यन, धमेचा और मर्चेट को उच्च न्यायालय द्वारा 28 अक्टूबर को एक आदेश के तहत सशर्त जमानत दी गई थी। इस मामले पर विस्तृत आदेश आज ही उपलब्ध कराया गया है।
न्यायमूर्ति साम्ब्रे ने आगे कहा कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध करने के सामान्य इरादे पर एनसीबी का दावा (आरोपी) के पास वाणिज्यिक मात्रा में ड्रग्स और साजिश रचने का पाया जाना ‘अस्वीकार करने योग्य’ है।
अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि तीनों क्रूज पर यात्रा कर रहे थे, उनके खिलाफ धारा 29 (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप लगाने का आधार नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति सांब्रे ने कहा, “इस अदालत को इस तथ्य के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है कि साक्ष्य के रूप में बुनियादी सामग्री की उपस्थिति होनी चाहिए, ताकि आवेदकों (आरोपी) के खिलाफ साजिश के मामले को साबित किया जा सके।”
उन्होंने आगे कहा कि आर्यन खान के पास कोई दवा नहीं मिली, जबकि धमेचा और मर्चेट से बरामद मात्रा एनडीपीएस अधिनियम के तहत ‘छोटी’ थी। ऐसी परिस्थिति में अभियुक्त के खिलाफ साजिश की धारा लागू करने या गैरकानूनी कार्य करने के लिए समझौते के बारे में कोई सकारात्मक सबूत होना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिसे सबूत माना जाए।
न्यायमूर्ति सांब्रे ने कहा, “यहां तक कि आर्यन खान या तीनों आरोपियों की व्हाट्सएप चैट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था या एनडीपीएस अधिनियम के तहत साजिश रचने और अपराध करने के लिए बैठक कर अन्य आरोपियों के साथ साजिश का सुझाव साझा करने का भी कोई सबूत नहीं था।”
उन्होंने कहा कि अब तक की जांच से पता चला है कि आरोपी तिकड़ी स्वतंत्र रूप से यात्रा कर रहे थे और इस मुद्दे पर कोई आपसी बैठक नहीं हुई थी, जैसा कि एनसीबी ने तर्क दिया।
अदालत ने पिछले महीने खान, धमेचा और मर्चेट को जमानत देते हुए कहा कि चूंकि साजिश जैसा कोई अपराध नहीं था, इसलिए जमानत देने पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 की कठोरता इस मामले में लागू नहीं होगी।
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