उज्जैन। नीलगंगा क्षेत्र में जो मंछामन मंदिर है वह उपेक्षित है और इसका विकास नहीं हो पा रहा है जबकि यहाँ बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने जाते हैं। वर्षों पुराने मंछामन गणेश मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग अपनी इच्छाएँ लेकर दर्शन के लिए जाते हैं। मंछामन गणेश उनकी मंशा को भी पूर्ण करते हैं। आसपास के रहवासियों के अनुसार यह मंदिर अतिप्राचीन है और सदियों पुराना है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बैठने के लिए वर्षों पहले कुर्सियाँ लगवाई गई थी यह भी अब टूट गई है। इसके अलावा परिसर में बने शेड तथा ओटले भी टूट गए हैं। मंदिर परिसर के प्राचीन बावड़ी की सफाई भी वर्षों से नहीं हुई है।
इसे लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और महापौर भी यहां नए सिरे से जीर्णोद्धार के लिए तैयार हैं, परंतु बताया जाता है कि यह प्राचीन मंदिर जिस भूमि पर स्थित है उसके भूमि स्वामी यहाँ किसी तरह का सुधार और निर्माण आदि को लेकर तैयार नहीं है। यही कारण है कि सदियों पुराने मंछामन गणेश मंदिर परिसर में अव्यवस्थाएँ लगातार बढ़ रही है और चाह कर भी जनप्रतिनिधि यहाँ सुधार कार्य नहीं करा पा रहे हैं। इससे श्रद्धालुओं को असुविधाएँ हो रही है।
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