इस्लामाबाद (islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) ने गुरुवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए उसके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Foreign Minister Bilawal Bhutto Zardari) की भारत यात्रा पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बिलावल और चीन के विदेश मंत्री किन गैंग शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें भारत ने मई में होने वाली बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है। भारत (India) आठ देशों के एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है।
पाक विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि पाकिस्तान एससीओ को एक महत्वपूर्ण संगठन मानता है और सभी गतिविधियों में भाग लेना जारी रखेगा और इसके परिणामों में रचनात्मक योगदान देगा। विदेश मंत्रियों की आगामी एससीओ परिषद में भागीदारी के संबंध में साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान मुमताज ने कहा कि जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, मामला विचाराधीन है और जब भी इस बारे में निर्णय लिया जाएगा, हम इसे सभी के साथ साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे लिए इन बैठकों के बारे में अटकले (speculation) लगाना थोड़ी जल्दबाजी होगी।
बता दें कि यदि पाकिस्तानी विदेश मंत्री व्यक्तिगत रूप से बैठक में भाग लेते हैं, तो यह 2011 के बाद से इस्लामाबाद की तरफ से भारत की पहली ऐसी यात्रा होगी। 2011 में पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत का दौरा किया था। खार वर्तमान में विदेश मामलों की राज्यमंत्री के रूप में सेवारत हैं। मई 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत का दौरा किया था। इसके बाद दिसंबर 2015 में भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Foreign Minister Sushma Swaraj) ने पाकिस्तान का दौरा किया था और कुछ दिनों बाद पीएम मोदी (PM Modi) ने पड़ोसी देश का संक्षिप्त दौरा किया था।
भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव, जो सात साल से अधिक समय से पाकिस्तान में सलाखों के पीछे हैं, मामले पर किसी भी अपडेट के बारे में पूछे जाने पर बलूच ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है और मैं फिर से दोहराती हूं कि कुलभूषण जाधव के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। वह पाकिस्तान की हिरासत में हैं। बलूच ने यह भी कहा कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में शांति और बातचीत चाहता है और हमारी विदेश नीति क्षेत्र में और इसके बाहर शांति, दोस्ती और समृद्धि के लिए साझेदारी बनाने पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं। हमने जम्मू-कश्मीर सहित सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ रचनात्मक जुड़ाव और परिणामोन्मुखी बातचीत की भी वकालत की है। भारत इस बात पर कायम रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है, लेकिन इस बात पर जोर देता है कि इस तरह के जुड़ाव के लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद की है।
एससीओ की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। इसके बाद से यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे।
भारत द्वारा आयोजित एससीओ की बैठक में शामिल नहीं होंगे पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने गुरुवार को नई दिल्ली में 10-12 मार्च को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मुख्य न्यायाधीशों की बैठक में शामिल नहीं होने की घोषणा की। विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने एक बयान में कहा कि ‘पाकिस्तान एकमात्र देश है जो भारत द्वारा आयोजित एससीओ देशों के मुख्य न्यायाधीशों की बैठक में शामिल नहीं होगा।’ नए सदस्य, ईरान सहित अन्य सभी सदस्य व्यक्तिगत रूप से बैठक में भाग लेंगे।
बयान में कहा गया है कि निर्धारित बैठक की तारीखों पर अपनी अपरिहार्य प्रतिबद्धताओं के कारण पाकिस्तान के माननीय मुख्य न्यायाधीश 10-12 मार्च, 2023 से निर्धारित सर्वोच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की एससीओ बैठक में भाग नहीं ले पाएंगे। उन्होंने इसे लेकर अपने भारतीय समकक्ष, जो बैठक के वर्तमान अध्यक्ष हैं, को खेद व्यक्त किया है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पाकिस्तानी मुख्य न्यायाधीश को निमंत्रण दिया था, लेकिन इस्लामाबाद ने देश के शीर्ष न्यायाधीश के बारे में अंतिम समय में निर्णय लिया। भारत एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है।
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