भोपाल। आयकर विभाग ने बीते तीन वर्षों से अपीलों पर निर्णय नहीं दिया है। कर सलाहकार और सीए शिकायत कर रहे हैं तीन वर्षों के दौरान प्रदेश में ही करीब हजारों अपीलें लंबित है। लंबित प्रकरणों में ज्यादातर मामले में नोटबंदी के दौर के हैं। फेसलैस अपील सिस्टम लागू होने के बाद खामोश हुई विभाग की प्रक्रिया का खामियाजा करदाताओं को भुगतना पड़ रहा है।
2016 में नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों के बैंक खातों में नकद राशि जमा की गई थी। बैंक खातों में नकद जमा वाले ज्यादातर प्रकरणों में जमा राशि को संबंधित व्यक्ति की आय मानते हुए आयकर विभाग ने सभी करदाताओं को नोटिस जारी किए और राशि पर आयकर चुकाने की मांग भी निकाल दी। कर निर्धारण के ऐसे मामलों के खिलाफ करदाताओं ने विभाग में अपील की है। हालांकि सरकार ने अक्टूबर 2020 से आयकर विभाग में फेसलैस अपील का सिस्टम लागू कर दिया। यानी अपील पर सुनवाई और निराकरण की प्रक्रिया आनलाइन और सिस्टम बेस्ड होगी। यानी अधिकारी न सीधे सुनवाई करेंगे न करदाता विभाग जाकर अपना पक्ष और जवाब पेश कर सकेगा। नया सिस्टम तो लागू कर दिया लेकिन इसके बाद हुआ ये कि अब तक एक भी प्रकरण में अपील पर विभाग की ओर से निर्णय नहीं आ सका है।
खाते सीज, आगे भी खर्च
टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन के सचिव सीए अभय शर्मा के अनुसार लंबित अपीलों के कारण कई करदाता परेशान है। नोटिस के खिलाफ की गई अपील पर तो विभाग ने निर्णय नहीं दिया। दूसरी ओर कार्रवाई आगे बढ़ाकर करदाताओं पर टैक्स की मांग निकाल दी गई है। अपील लंबित होने के चलते टैक्स करदाता ने नहीं चुकाया तो तमाम लोगों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। एक ओर नोटिस पर अपील लंबित है दूसरी ओर वसूली के लिए खाते फ्रीज किए जाने से करदाताओं का व्यापार अटक रहा है। मांग के ऐसे मामलों में अब अगर करदाता को आगे अपील करना है तो पहले 20 प्रतिशत राशि जमा करना होगी। ऐसे प्रकरण जिनमें मांग गलत है उनमें करदाताओं पर बेवजह का आर्थिक बोझ आ रहा है। दरअसल फेसलैस अपील सिस्टम पर आयकर विभाग के अधिकारियों को भी कई तरह का संशय है। वे सीबीडीटी से इस बारे में संशय दूर होने का इंतजार कर रहे हैं। टीपीए ने बीते दिनों इस संबंध में आयकर विभाग में ज्ञापन भी सौंपा है कि लंबित अपील प्रकरणों का जल्द से जल्द निराकरण होना चाहिए। अब तक अपील के निराकरण के लिए कोई अधिकतम समयसीमा भी तय नहीं है। इसके कारण भी ऐसे प्रकरणों के निराकरण में सुस्ती बरती जा रही है।
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