नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron Variant) का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अभी तक भारत में ओमिक्रॉन वैरिएंट के 23 नए मामले सामने आ चुके हैं। केंद्र सरकार द्वारा ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर राज्यों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं, अब ऐसे में सवाल उठता है क्या लोगों को बूस्टर डोज भी दिया जाना चाहिए, क्योंकि इस समय कई देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं, लेकिन भारत में अभी तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस बीच एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स से पता चला है कि भारत के कई लोग दूसरे देशों में जाकर बूस्टर डोज ले रहे हैं। इन लोगों में बड़े उद्योगपति घराने या फिर बड़ी कंपनियों में उच्च पदों पर काम करने वाले लोग शामिल हैं।
वहीं कोरोना की बूस्टर डोज को लेकर कल राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) की बैठक हुई लेकिन विशेषज्ञों का पैनल किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सका. बता दें कि एनटीएजीआई की बैठक में इस बात पर निर्णय लिया जाना था कि क्या उच्च जोखिम वाले लोगों को बूस्टर डोज दी जाए या नहीं। एनटीएजीआई से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि एनटीएजीआई द्वारा अभी तक कोई सिफारिश नहीं की गई है। अभी हमारी कोशिश है कि कमजोर बच्चों के लिए जल्द से जल्द टीके को मंजूरी दी जाए।
खबरों के अनुसार कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज के लिए राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने आंकड़ों का आकलन किया है, जो बताता है कि देश में कोरोना के संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा है, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए. फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ बुजुर्गों को भी बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए जिन्हें सबसे पहले वैक्सीन लगाई गई थी। इन सभी लोगों को वैक्सीन लगे काफी ज्यादा समय हो चुका है और उनके संक्रमित होने की संभावना ज्यादा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड की आज अहम बैठक होने वाली है, जिसमें उन लोगों के लिए बूस्टर डोज के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जो गंभीर संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
ऐसे पहचाने ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण
बहुत ज्यादा थकान, हल्का सिरदर्द, पूरे शरीर में दर्द, गले में खराश, सूखी खांसी
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