बर्लिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने जर्मनी में कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में कोई भी देश विजयी नहीं हो सकता है. पीएम मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की और यूक्रेन संकट का उल्लेख करते हुए कहा कि युद्ध से सभी को नुकसान होगा, इसलिए भारत शांति के पक्ष में है. वहीं, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया.
प्रधानमंत्री मोदी यूरोप के तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में सोमवार को सुबह जर्मनी पहुंचे. अपनी यात्रा के दौरान मोदी डेनमार्क और फ्रांस (Denmark and France) भी जायेंगे. प्रधानमंत्री मोदी की यूरोप यात्रा यूक्रेन संकट के बीच हो रही है जिसको लेकर रूस के खिलाफ लगभग पूरा यूरोप एकजुट है. बर्लिन पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने चांसलर कार्यालय (चांसलरी) के प्रांगण में सलामी गारद का निरीक्षण किया जहां वे चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ बातचीत कर रहे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘भारत-जर्मनी सहयोग का विस्तार. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने बर्लिन में मुलाकात की.”
प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी चांसलर शॉल्ज (Germany Chancellor Scholz) से यह पहली मुलाकात है जिन्होंने दिसंबर 2021 में पदभार ग्रहण किया है. इससे पहले दोनों नेताओं की पिछले वर्ष जी20 बैठक में मुलाकात हुई थी,तब शॉल्ज वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे. मोदी और ओलाफ छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता करेंगे. आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी। यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है. इस कार्यक्रम में दोनों देशों के कई मंत्री भी हिस्सा लेंगे. विदेश मंत्रालय ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी बैठक में हिस्सा लेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी की यह जर्मनी की पांचवी यात्रा है. इससे पहले वह अप्रैल 2018, जुलाई 2017, मई 2017 और अप्रैल 2015 जर्मनी गए थे. यूरोप की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा था कि बर्लिन की उनकी यात्रा चांसलर शॉल्ज से बातचीत का अवसर प्रदान करेगी जिनसे उन्होंने पिछले वर्ष जी20 में मुलाकात की थी,तब वह वाइस चांसलर और वित्त मंत्री थे. उन्होंने कहा, “हम छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (आईजीसी) की सह अध्यक्षता करेंगे, यह एक विशिष्ट कार्यक्रम है जिसे भारत केवल जर्मनी के साथ करता है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं इस आईजीसी को जर्मनी की नई सरकार के साथ बातचीत की पहल के तौर पर देखता हूं, जो सरकार के गठन के छह माह के भीतर हो रही है. इससे मध्यम और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी.” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2021 में भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया और दोनों देश 2000 से सामरिक साझेदार हैं. उन्होंने कहा, “मैं दोनों देशों के बीच रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक विकास से जुड़े मुद्दों पर चांसलर शॉल्ज के साथ बातचीत करने को लेकर उत्सुक हूं.” दोनों नेता एक उच्च स्तरीय बैठक को भी संबोधित करेंगे और दोनों देशों की शीर्ष कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगे.
उन्होंने कहा, “भारत और जर्मनी के बीच दीर्घकालिक वाणिज्यिक संबंध हमारी रणनीतिक साझेदारी का एक स्तंभ है, चांसलर शॉल्ज और मैं मिलकर ‘बिजनेस राउंड टेबल’ को भी संबोधित करेंगे. इसका लक्ष्य हमारे उद्योगों के बीच समन्वयन में नयी ऊर्जा पैदा करना है जिससे हमें दोनों देशों के बीच कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार में मदद मिलेगी.” विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह ‘राउंड टेबल’ दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगी. प्रधानमंत्री का जर्मनी में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा भारत जर्मनी के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने का भविष्य का खाका तैयार करेगी. बर्लिन के बाद प्रधानमंत्री तीन मई को डेनमार्क जाएंगे जहां वह अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. वहां वह द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved