जयपुर (Jaipur) । राजस्थान (Rajasthan) की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को बीजेपी (BJP) ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। इसके बावजूद वह राजस्थान बीजेपी के नेताओं पर भारी है। वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक घर बैठे है या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वसुंधरा राजे समर्थकों को टिकट नहीं देने के बावजूद पूर्व सीएम राजे सब पर भारी है। सियासी जानकारों का कहना है कि भले ही वसुंधरा राजे समर्थकों के बडे़ पैमाने पर टिकट काट दिए है। लेकिन 200 में से 85 उम्मीदवार ऐसे है जो वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाते हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को बहुमत मिलता है तो स्वाभाविक तौर पर जितने वाले उम्मीदवार राजे का ही समर्थन करेंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस हो या बीजेपी पार्टी आलाकमान विधायकों की राय पर ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कहता है।
सियासी जानकारों का कहना है कि विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव होता है तो सबसे वसुंधरा राजे ही सबसे आगे रहेंगी। ऐसे में बीजेपी के लिए सीएम का चयन करना आसान नहीं होगा। चुनाव बाद वसुंधरा राजे समर्थक विधायकों का दबदबा रहने के पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं। भले ही बीजेपी आलाकमान चाहे जो फैसला ले। ऐसे में बीजेपी में विधायकों की बात आएगी तो वसुंधरा राजे का नाम सबसे आगे हो सकता है। बता दें वसुंधरा राजे इन दिनों केवल अपने समर्थकों के समर्थन में ही वोट मांग रही है।
वसुंधरा राजे तीन वजह से सब पर भारी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे अपने धुर सियासी विरोधियों पर तीन वजहें से भारी है। बीजेपी में वसुंधरा राजे जैसा कदकाठी का नेता नहीं है। राजे की समाज के सभी वर्गों पर सीधी पकड़। तीसरा वसुंधरा राजे का सिधिंया घराने से होना। तीन वजह ऐसी है जिनकी वजह से सब पर भारी है। सियासी जानकारों का कहना है कि भले ही वसुंधरा राजे के समर्थकों को टिकट नहीं मिला हो, लेकिन 200 में 80 उम्मीदवार वसुंधरा राजे समर्थक माने जाते हैं। राजे ऐन वक्त पर बाजी पलट देने की हैसियत रखती है। लेकिन वसुंधरा राजे ने अगले दिन झालारापाटन से नामांकन दाख़िल करने के दौरान कहा, ”मैं रिटायर होने वाली नहीं हूँ. सेवा का कर्म जारी रहेगा. मैंने सांसद दुष्यंत सिंह की राजनीतिक परिपक्वता से खु़श होकर माँ के नाते कहा कि वे झालावाड़-बारां में अच्छा काम कर रहे हैं.”
बीजेपी में सीएम फेस को लेकर संस्पेंस
राजस्थान में बीजेपी इस बार बिना चेहरे के चुनाव लड़ रही है। वसुंधरा राजे को इस बार सीएम फेस घोषित नहीं किया है। इससे पहले दो चुनाव वसुंधरा राजे के चेहरे पर ही लड़े गए थे। बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है। वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कहते रहे हैं कि चुनाव बाद संसदीय बोर्ड की मीटिंग में सीएम पर निर्णय होगा। बता दें शेखावत खुद सीएम पद के लिए दावेदार है। हालांकि, वे इनकार करते रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए चुनाव बाद मुख्यमंत्री का चयन करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। फिलहाल बीजेपी में सीएम फेस को लेकर संस्पेंस बना हुआ है। राजस्थान में सीएम फेस की रेस में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावतस दीया कुमारी और महंत बालकनाथ का नाम चर्चा में है। हालांकि, बाबा बालकनाथ ने हाल ही में एक जनसभा में वसुंधरा राजे को भावी मुख्यमंत्री बताकर सियासी हलचल पैदा कर दी है। क्योंकि बालकनाथ खुद सीएम फेस माने जा रहे हैं।
सर्वें में गहलोत के बाद वसुंधरा राजे
राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सीएम फेस को लेकर अभी तक जितने भी जनमत सर्वे सामने आए है। उनमें सीएम अशोक गहलोत के बाद वसुंधरा राजे नंबर 2 पर है। यानि बीजेपी में सीएम फेस की पहली पसंद वसुंधरा राजे है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान के लिए वसुंधरा राजे की अनदेखी भारी पड़ सकती है। हालांकि, राजस्थान में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी भी कई सवाल बरकरार हैं। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी राजस्थान में अपनी सभाओं के दौरान साफ तौर पर कह चुके हैं कि इस बार राजस्थान का चुनाव कमल के निशान पर लड़ा जाएगा। ऐसे में माना तो यह भी जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद बहुमत मिलने पर बीजेपी सीएम पद के लिए किसी नए चेहरे को मैदान में उतार सकती है।
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