शहर के चारों तरफ ब्रिज बने, दिव्यांगो को चढऩा मुश्किल
कलेक्टर बड़ी कम्पनियों से सीएसआर के तहत लेंगे फंड, करेंगे मदद
इंदौर। विभिन्न योजनाओं के तहत नकली हाथ-पैर, तीन पहिया सायकल, छड़ी, चश्मे और अन्य उपकरण दिए जाते है और बैटरी से चलित गाड़ी देने के लिए कोई फंड नहीं दिया जाता, जिसके चलते अब बड़े उद्योगों और कम्पनियों से सीएसआर फंड के तहत मदद दिलवाई।
शहर के चारों तरफ विकास के साथ साथ ब्रिज निर्माण हो रहे हैं। ऊंचे-ऊंचे ब्रिजों पर चढऩा दिव्यांगों के लिए दुश्कर होता जा रहा है, वहीं उलट दिव्यांगों के लिए सरकारी योजना में बैटरी चलित गाडिय़ां, पेट्रोल चलित वाहन के लिए कोई फंड ही नहीं है। कलेक्टर कार्यालय में जीवन यापन करने के लिए दिव्यांगों की सहायतार्थ कई आवेदन आते रहते हैं, जिसमें मुख्य तौर पर बैटरी चलित और पेट्रोल चलित गाडिय़ों की मांग प्रमुख होती है। हाल ही में कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में पहुंची जानकी को रेडक्रास फंड के माध्यम से 80 हजार का वाहन उपलब्ध कराया गया, लेकिन और भी अन्य दिव्यांगों की मांगों को पूरा करने के लिए बड़ी कम्पनियों और उद्योगों से सहायता लेंगे।
कलेक्टर करवा रहे लिस्ट तैयार
दिव्यांगों सहित शहर में अन्य तरह के नि:शक्तों और सहायताहीनों को मदद करने के लिए फंड की व्यवस्था की बात कर कलेक्टर इलैया राजा टी ने कहा कि सीएसआर के तहत काफी फंड एकत्रित किया जा सकता है। विभाग को सलाह दी गई है कि सूची तैयार कर पहल की जाए। कलेक्टर ने निर्देश दिए है कि ऐसे उद्योगों और कम्प्नियों की सूची तैयार की जाए जो सहज मदद के लिए तैयार आए।
अवंतिका गैस एजेंसी ने की पहल
सीएसआर के तहत दिए जाने वाले फंड के माध्यम से दिव्यांगों के लिए वाहनों की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें अवंतिका गैस एजेंसी से विभाग के अधिकारियों ने सम्पर्क किया। इसी तरह शहर की सभी उद्योगों और कम्पनियां बनाने की तैयारी विभाग द्वारा की जा रही है। अवंतिका गैस एजेंसी के माध्यम से दिए जा रहे फंड के लिए दिव्यांगों को चिन्हित किया गया है, ताकि उन्हें उनकी जरूरत के वाहन या उपयोग के संसाधन दिलाए जा सके।
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