नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में (In the Central Waqf Council and Boards) फिलहाल कोई नियुक्ति नहीं की जाए (No Appointments should be made at present) ।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को सात दिन का समय दिया। न्यायालय ने साथ ही यह भी कहा कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है तो उन संपत्तियों को नहीं छेड़ा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत से इस कानून पर रोक न लगाने की अपील की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि इस मामले पर प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें एक सप्ताह का समय दिया जाए। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल किया जा सकता है, जिस पर केंद्र ने सहमति जताई कि इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा।न्यायालय ने कहा कि मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना असंभव, केवल पांच पर ही सुनवाई होगी।
कोर्ट ने वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया, जिस पर केंद्र ने सहमति जताई।अदालत ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्र सरकार से एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई में अदालत इस कानून की संवैधानिक वैधता और इसके प्रावधानों पर विस्तृत विचार करेगी। उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर भी चिंता जताई। इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि इस पर फैसला करेंगे।
केंद्र ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था, जिसे दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद संसद से पारित होने के पश्चात पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 सदस्यों ने मत दिया। वहीं, लोकसभा में इसके पक्ष में 288 तथा विरोध में 232 वोट पड़े। इस तरह यह दोनों सदनों से पारित हो गया था।
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