उज्जैन। शहर के अधिकांश प्रमुख क्षेत्रों और मुख्य मार्ग पर बिल्डिंग मटेरियल की दुकानों के कारण भी यातायात बिगड़ा हुआ है। क्योंकि कई जगह बिल्डिंग मटेरियल सड़कों पर फैलाकर पटक दिया जाता है। ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई के लिए नगर निगम ने 6 माह पहले योजना बनाई थी लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। सड़कों पर मटेरियल के ढेर लगे होने से रात में दुर्घटना का खतरा और बढ़ जाता है।
शहर में सैकड़ों स्थानों पर, खासकर आगर रोड, मक्सी रोड, इंदौर रोड क्षेत्र के कई हिस्सों में बिल्डिंग मटेरियल की दुकानें न केवल खुली हैं, बल्कि रेती, गिट्टी, ईंट, सीमेंट और अन्य मटेरियल सड़कों पर यहां-वहां पटक दिया जाता है, जिसके कारण सड़क पर यातायात में व्यवधान होता है। शहर के आगर रोड के अलावा एमआर-5 मार्ग, मक्सी रोड, तीन बत्ती चौराहा से सांवेर रोड और नानाखेड़ा तक, हरिफाटक ब्रिज, नीलगंगा क्षेत्र, अंकपात द्वार से मंगलनाथ मार्ग तथा अंगारेश्वर मंदिर पहुँच मार्ग सहित अन्य इलाकों में सड़कों पर ही मटेरियल पटका जाता है। यातायात पुलिस से लेकर संबंधित थाने की पुलिस द्वारा इन पर चालानी कार्रवाई भी नहीं की जाती। इसी के चलते यह काम खुलेआम चल रहा है। करीब 6 महीने पहले निगम के सभी झोनल अधिकारियों को निगमायुक्त ने निर्देश दिए थे कि अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसी बिल्डिंग मटेरियल की दुकानें चिह्नित करें, जो सड़कों पर मटेरियल फैलाकर रखती हैं। दुकानदारों को पहले दौर में समझाइश दी जाएगी और दूसरी बार संभवत: कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। इस मामले को लेकर निगमायुक्त पूर्व में ही सभी झोनल अधिकारियों के साथ-साथ बिल्डिंग परमिशन विभाग के अफसरों निर्देश दे चुके हैं लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है।
खदानों से जारी है परिवहन
एक ओर सरकार जहाँ खनिज की खदानों से मिलने वाली रॉयल्टी से अपना जेब भरना चाहती है लेकिन दूसरी और हमारे जिले में स्थिति ऐसी है कि यहाँ रेत की खदान लेने वाला कोई नहीं है, क्योंकि ठेकेदारों को इसमें नुकसान दिखाई दे रहा है। इसलिए पहले ही रेत खदान वालों ने सरकार को खदानें सरेंडर कर दी है। जिले में 52 रेत की खदान हैं जिनके लिए हर साल बोली लगाई जाती है लेकिन पिछले तीन बार से इन खदानों को लेने में ठेकेदारों ने रूचि नहीं दिखाई है। अधिकांश खदानों के ठेके अभी तक नहीं हो पाए हैं। बावजूद इसके पूरे जिले में अवैध रूप से उत्खनन जारी है और इसमें खनिज विभाग की भी मिलीभगत हो सकती है। क्योंकि उज्जैन शहर में प्रतिदिन डंपर और ट्रैक्टर ट्रालियों के माध्यम से रेत रोज बिकने कैसे आ रही है।
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