नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति (Vice President ) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को रद्द किया (Was Quashed) और संसद में आवाज नहीं हुई (There was No Voice in Parliament) तो मैं भौंचक था (I was Shocked) । उपराष्ट्रपति दिल्ली में 8वें डॉ. एल. एम. सिंघवी मेमोरियल लेक्चर में एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता जहां लोगों की इच्छा को दर्शाने वाले संविधान के एक प्रावधान को इस तरह रद्द कर दिया गया हो । “भारतीय संसद 2015-216 में एक संवैधानिक संशोधन अधिनियम पर वोटिंग कर रही थी और पूरी लोकसभा ने सर्वसम्मति से मतदान किया। इस दौरान कोई मतभेद नहीं रहा और संशोधन पारित किया गया। राज्यसभा में यह एकमत से पारित किया गया और अध्यादेश को संवैधानिक प्रावधान में बदल दिया गया।” उन्होंने कहा कि लोगों की शक्ति एक वैध मंच पर दिखने लगी। दुनिया ऐसे किसी उदाहरण के बारे में नहीं जानती है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ‘इतने जीवंत लोकतंत्र में बड़े पैमाने पर लोगों की नियुक्ति करने वाले संवैधानिक प्रावधान को अगर खत्म कर दिया जाए तो क्या होगा? मैं सभी से अपील कर रहा हूं कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें दलगत आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए।” संविधान के अनुच्छेद 145 (3) का उल्लेख करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा, “जब कानून का सवाल हो तो संविधान की व्याख्या न्यायालय द्वारा की जाएगी। यह कहीं नहीं कहता कि प्रावधान को कम किया जा सकता है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि चिंतन करने और सोचने में कभी देर नहीं हुई। उन्होंने कहा, “कानून के एक छात्र के रूप में क्या संसदीय संप्रभुता से कभी समझौता किया जा सकता है? क्या पिछली संसद द्वारा किए गए कार्यों से वर्तमान संसद बाध्य हो सकती है?” इस दौरान उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे पर कहा कि चिंतन करने में कभी देर नहीं हुई।
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