पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 15 वर्षों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था को भी आईसीयू में पहुंचा दिया है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट और मानक संस्थानों की जांच में बिहार सबसे फिसड्डी है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तय मानक प्रति हज़ार आबादी पर स्वास्थ्य केंद्र में बिहार सबसे आखिरी पायदान पर है। बिहार में डॉक्टर मरीज अनुपात पूरे देश में सबसे ख़राब है। जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों अनुसार प्रति एक हज़ार आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए (1 :1000 ), वहीं बिहार में ये 1:3207 है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो और भी दयनीय स्थिति है। वहां प्रति 17,685 व्यक्ति पर महज 1 डॉक्टर बिहार में है। आर्थिक उदारीकरण के 15 वर्षों में नीतीश सरकार ने इस दिशा में क्या कार्य किया है यह सरकारी आंकड़े बता रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी रिपोर्ट कार्ड में पिछले 15 सालों में बिहार का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है। बिहार को जो राशि आवंटित हुई उसका आधा भी सरकार खर्च नहीं कर पायी। कुपोषण भी सबसे अधिक बिहार में है।
उन्होंने कहा कि आयुषमान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत सबसे ख़राब प्रदर्शन बिहार का रहा है जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने एक भी पैसा इस साल आवंटित नहीं किया है। अभी तक 75 % आबादी का ई-कार्ड नहीं बन पाया है। तेजस्वी ने कहा कि चाहे नीति आयोग की रिपोर्ट हो या राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे संस्थानों के सारे मानकों पर बिहार नीतीश राज के 15 सालों में फिसड्डी होते चला गया। ऐसा होना भी लाज़िमी है जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी के स्वास्थ्य की चिंता हो उसे प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की चिंता क्यों होगी। (एजेन्सी, हि.स.)
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