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    नितिन गडकरी ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से लाइफ और मेडिकल इंश्योरेंस पर GST हटाने की मांग की, लिखी चिट्ठी

  • July 31, 2024

    नई दिल्ली. बीजेपी नेता (BJP leader) और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने पत्र लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) से एक अपील की है. उन्होंने वित्त मंत्री से लाइफ एंड मेडिकल इंश्योरेंस (life and medical insurance) प्रीमियम पर लगने वाली 18 फीसदी जीएसटी (GST) हटाने की मांग की है. सीतारमण को लिखे पत्र में गडकरी ने कहा कि नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ ने इन मुद्दों पर उन्हें ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने यह भी कहा कि लाइफ एंड मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी लगाना ‘जिंदगी की अनिश्चितताओं पर कर लगाने जैसा है.’


    गडकरी ने अपने पत्र में कहा कि संघ का मानना ​​है कि लोगों को इस जोखिम के खिलाफ कवर खरीदने के लिए इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसी तरह, मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी बिजनेस के इस क्षेत्र के विकास के लिए बाधक साबित हो रहा है, जो सामाजिक रूप से जरूरी है.

    नितिन गडकरी ने आगे कहा कि संघ ने लाइफ इंश्योरेंस के जरिए बचत के लिए ट्रीटमेंट, मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए आईटी कटौती की फिर से शुरूआत के साथ-साथ पब्लिक सेक्टर की सामान्य इंश्योरेंस कंपनियों के एकीकरण का मुद्दा भी उठाया.

    उन्होंने यह भी कहा कि लाइफ एंड मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी का भुगतान करना सीनियर नागरिकों के लिए चुनौती जैसा है. गडकरी ने अपने पत्र में कहा, “आपसे गुजारिश है कि लाइफ एंड मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने के सुझाव पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करें क्योंकि यह सीनियर नागरिकों के लिए नियमों के मुताबिक बोझिल हो जाता है, साथ ही अन्य प्रासंगिक बिंदुओं पर उचित सत्यापन भी किया जाना चाहिए.”

    GST पर पुनर्विचार करने के लिए पहले भी हो चुकी है मांग

    यह पहली बार नहीं है, जब निर्मला सीतारमण से हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर लगाए जाने वाले जीएसटी पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की गई है. इस साल जून में, कन्फेडरेशन ऑफ जनरल इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार से व्यक्तिगत मेडिकल पॉलिसीज पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की अपील की थी. गैर-जीवन बीमा एजेंटों के निकाय ने कहा कि इससे लोगों को सामाजिक सुरक्षा के उपाय के रूप में इन पॉलिसियों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी. निकाय ने यह भी बताया कि पिछले 5 साल में हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम लगभग दोगुना हो गया है.

    एसोसिएशन ने सीतारमण को लिखे अपने पत्र में कहा था कि प्रीमियम दरों में लगातार बढ़ोतरी और बढ़ती मेडिकल महंगाई की वजह से पॉलिसी रिन्यूअल दरों में गिरावट हो रही है. एसोसिएशन ने सीतारमण को लिखे अपने पत्र में कहा, “खुदरा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीज के रिन्यूअल का औसत प्रतिशत 65 से 75 फीसदी है. इससे यह साफ है कि ज्यादातर पॉलिसीहोल्डर्स इंश्योरेंस प्रीमियम में लगातार बढ़ोतरी और जीएसटी की बहुत ज्यादा दर की वजह से प्रीमियम का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं.”

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