नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि दिल्ली (Delhi) में प्रदूषण (pollution) का स्तर इतना ज्यादा है कि तीन दिन तक शहर में रहने से इन्फेक्शन (infection) हो सकता है. दिल्ली और मुंबई के प्रदूषण के स्तर के कारण रेड जोन में होने की जानकारी देते हुए गडकरी ने कहा कि आने वाले वक्त में वायु और जल प्रदूषण के संबंध में बहुत काम किए जाने की जरूरत है.
प्रदूषण पर दिल्ली सरकार क्या कहती है?
पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘वाहनों से वायु प्रदूषण की रोकथाम’ पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट पेश की है, जिसमें कई खामियों को उजागर किया गया है. यह पिछले दो सालों से लंबित 14 कैग रिपोर्ट्स में से एक थी. शराब आबकारी नीति और स्वास्थ्य सहित तीन रिपोर्ट पहले ही पेश की जा चुकी हैं.
रिपोर्ट में प्रदूषण नियंत्रण तंत्र में कई खामियों को उजागर किया है. जैसे कार समेत कई वाहनों के पीयूसी प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताएं, वायु गुणवत्ता निगरानी सिस्टम का विश्वसनीय न होना और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का खराब क्रियान्वयन शामिल है. रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों द्वारा उत्पन्न डेटा में संभावित लापरवाहियां, प्रदूषण नियंत्रण सोर्स पर रियल-टाइम की जानकारी की कमी और सार्वजनिक परिवहन बसों की कमी का जिक्र भी किया गया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत रहा है, लेकिन सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों (सीएएक्यूएमएस) के स्थान केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते थे, जिससे उनके द्वारा उत्पन्न आंकड़ों में संभावित अशुद्धि का संकेत मिलता है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक मान अविश्वसनीय हो जाता है.
दिल्ली सरकार के पास प्रदूषक स्रोतों के बारे में कोई रियल-टाइम जानकारी नहीं थी, क्योंकि उसने इस संबंध में कोई अध्ययन नहीं किया था. सरकार ने न तो ईंधन स्टेशनों (मुख्य स्रोत) पर बेंजीन के स्तर की निगरानी की, न ही ईंधन स्टेशनों पर वाष्प रिकवरी सिस्टम की स्थापना पर ध्यान दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 निगरानी स्टेशनों में से 10 पर बेंजीन का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक रहा.
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