नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को कहा कि अगर पितृसत्ता भारत में महिलाओं को उनके सपनों को पूरा करने से रोकती तो इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) देश की प्रधानमंत्री कैसे बन सकती थीं। सीतारमण बंगलूरू के सीएमएस बिजनेस स्कूल के छात्रों से बातचीत कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों और युवाओं के लिए उपलब्ध कराई गई योजनाओं पर चर्चा की। इसमें 21 से 24 आयु वर्ग के एक करोड़ बेरोजगार युवाओं के लिए इंटर्नशिप की पहल भी शामिल है।
महिला सशक्तिकरण पर एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा, पितृसत्ता एक ऐसा सिद्धांत है, जिसे वामपंथियों ने गढ़ा है। उन्होंने कहा, अच्छे शब्दों के बहकावें में न आएं। अगर आप अपनी बात मजबूती से रखेंगे और तार्कित तरीके से बात करेंगे, तो पितृसत्ता आपको अपने सपने पूरे करने से नहीं रोक सकती। हालांकि, उन्होंने यह बात मानी कि महिलाओं को पूरी तरह से सुविधाएं नहीं मिल पाती और इसमें और अधिक सुधार की जरूरत है।
भारत में नवाचार के लिए अवसरों के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार नवाचार के लिए एक ऐसा माहौल तैयार कर रही है, जो उनकी मदद कर रहा है। उन्होंने कहा, हम नवाचार को सिर्फ नीतियों के जरिए नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी समर्थन दे रहे हैं कि इन नवाचारों को बाजार में सही जगह मिले। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सरकार की सभी खरीद का 40 फीसदी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) से आता है। उन्होंने कहा, आज भारत में दो लाख से अधिक स्टार्टअप्स हैं और 130 से ज्यादा यूनिकॉर्न बन चुके हैं। इसका मतलब है कि अवसर बहुत हैं। लेकिन इनका पूरा उपयोग नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री ने डिजिटल बैंकिंग के क्षेत्र में हो रहे बदलावों का भी जिक्र किया और कहा कि देश में जन धन योजना के जरिए आम लोगों के लिए अवसर पैदा किए गए हैं। उन्होंने कहा, सरकार ने देश में डिजिटल नेटवर्क को फैलाने के लिए निवेश किया। जबकि कई अन्य देशों में यह काम निजी कंपनियों के जरिए हुआ। जिससे वहां कुछ शुल्क लगने लगे। लेकिन भारत में यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है।
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