नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने यूपीए गठबंधन (UPA alliance) के शासन के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र (white paper) को लोकसभा (LkSabha) में पेश कर दिया है। इस श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन (economic mismanagement) पर श्वेत पत्र के माध्यम से भारत (India) की आर्थिक बदहाली (economic crisis) और अर्थव्यवस्था (economy) पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। वहीं, इसमें उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की जाएगी।
क्यों लाया गया है श्वेत पत्र?
सरकार अर्थव्यवस्था के बारे में सदन के पटल पर श्वेत पत्र इसलिए ला रही है ताकि ये पता चल सके कि वर्ष 2014 तक हम कहां थे और अब कहां हैं। इस श्वेत पत्र का मकसद उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखना है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में पहली बार सरकार 2014 में ही बनी थी। उसके पहले लगातार 10 वर्षों यानी 2004-14 तक मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए गठबंधन की सरकार रही थी।
क्या होता है श्वेत पत्र?
बजट सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए जाने वाले श्वेत पत्र के बारे में बता दें कि यह तरह से सूचनात्मक रिपोर्ट कार्ड होता है जिसमें सरकार की नीतियों, कामकाजों और अहम मसलों को रेखांकित किया जाता है। खासतौर पर सरकारें ‘श्वेत पत्र’ किसी मसले पर बहस करने, सुझाव लेने या देने के साथ एक्शन के लिए लाती है।
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