नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा। तमाम व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। इस दिन किए गए पूजन व दान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्रप्ति होती है। हिन्दी पंचांग के अनुसार पूरे साल में कुल 24 एकादशी होती हैं और सभी एकादशियों का अलग-अलग महत्व होता है, लेकिन निर्जला एकादशी का महत्व सबसे खास होता है। इन सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी एक मात्र ऐसी है, जिसमें व्रत रखकर साल भर की एकादशियों जितना पुण्य कमाया जा सकता है। इस व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होता है। आइए जानते हैं एकदशी व्रत की तिथि और इस दिन क्या करना चाहिए जिससे भक्त को शुभ फल प्राप्त हो।
निर्जला एकादशी व्रत 2022 तिथि
एकादशी तिथि आरंभ: 10 जून, शुक्रवार, प्रात: 07: 25 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 11 जून, शनिवार प्रातः 05: 45 मिनट पर
निर्जला एकादशी पूजा विधि
व्रती गंगा दशहरा के दिन से तामसी भोजन का त्याग कर दें। साथ ही लहसुन और प्याज मुक्त भोजन ग्रहण करें। रात में भूमि पर शयन करें। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान श्रीहरि विष्णु जी का स्मरण करें। इसके पश्चात नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान करें। अब आमचन कर व्रत संकल्प लें। फिर पीला वस्त्र (कपड़े) पहनें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
तदोपरांत, भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा पीले पुष्प, फल, अक्षत, दूर्वा, चंदन आदि से करें। इसके लिए सबसे पहले षोडशोपचार करें। इस समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। अब निर्जला एकादशी की कथा का पाठ करें। अंत में आरती-अर्चना करें। इस दिन निर्जला उपवास रखने का विधान है। इसलिए अपनी सेहत के अनुसार व्रत करें। दिन भर निर्जला उपवास रखें। संध्या बेला में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा कर व्रत खोल पहले ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने के बाद भोजन ग्रहण करें।
व्रत के दिन करें ये कार्य
निर्जला एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व यानी दशमी के दिन अर्थात 9 जून को तरल पदार्थ, पानी वाले फल और पानी का सेवन अधिक करें।
निर्जला एकादशी व्रत के दिन प्यासे लोगों को पानी पिलाएं, ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। और श्री विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत चूंकि ज्येष्ठ मास में पड़ती है और इस मास में गर्मी अपने शीर्ष पर होती है। इसीलिए एकादशी के दिन छत पर या अन्य खुले स्थान पर पशु-पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था करें।
ज्येष्ठ मास की एकादशी व्रत बिना पानी और अन्न के रखा जाता है, इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इसलिए इस दिन मानसिक तौर पर स्वयं को मजबूत रखें, क्योंकि यह व्रत मानसिक मजबूती और दृढ़ प्रतिज्ञा से ही पूर्ण होना संभव है।
निर्जला एकादशी व्रत में आत्म संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना भी आवश्यक है। निर्जला एकादशी व्रत पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा का श्रवण या पाठ जरूर करें।
निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन दान का भी अपना महत्व है। इस दिन जल से भरा हुआ कलश दान करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते है। कोई भी सवाल हो तो अपने विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। )
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