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    नीरव मोदी का भारत आना तय! प्रत्यर्पण के खिलाफ भगोड़े की यूके HC में अपील खारिज

  • November 09, 2022

    नई दिल्ली: भगोड़े नीरव मोदी को बड़ा झटका लगा है. लंदन हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिद कर दी है. इससे उसका भारत आने का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट ने कहा है कि नीरव मोदी का भारत प्रत्यर्पण होगा. कोर्ट ने मोदी को भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. इसे भारतीय एजेंसियों की बड़ी जीत के रूप में देखा जा सकता है.

    हाई कोर्ट का कहना है कि मोदी को भारत वापस प्रत्यर्पित करना अन्यायपूर्ण या दमनकारी नहीं होगा. नीरव 7 हजार करोड़ के घोटाले का आरोपी है. लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट ने ये फैसला सुनाया. 51 साल का कारोबारी नीरव दक्षिण-पूर्वी लंदन में वैंड्सवर्थ जेल में है. उसे पिछले साल फरवरी में प्रत्यर्पण के पक्ष में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी गई थी.

    मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नीरव को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के पक्ष में फैसला सुनाया था. इसी फैसले के बाद उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति दो आधारों पर दी गई थी. पहला आधार यूरोपीय मानवाधिकार सम्मेलन का अनुच्छेद 3 था, जिसके तहत तर्क दिया गया कि यह प्रत्यर्पण अन्यायपूर्ण या दमनकारी होगा. प्रत्यर्पण अधिनियम 2003, मानसिक अस्वस्थता से भी संबंधित है.


    नीरव पर CBI और ED की जांच जारी
    नीरव पर दो मामले हैं. एक धोखाधड़ी से ऋण समझौता करके या सहमति-पत्र हासिल करके पीएनबी के साथ बड़े स्तर पर जालसाजी करने से संबंधित मामला है, जिसमें सीबीआई जांच कर रही है और दूसरा उस धोखाधड़ी से प्राप्त काले धन को सफेद में बदलने से संबंधित है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है. उस पर साक्ष्यों को गायब करने और गवाहों को डराने-धमकाने के दो अतिरिक्त आरोप भी हैं जो सीबीआई के मामले में जोड़े गए.

    2018 में भारत से भाग गया था नीरव
    नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को हजारों करोड़ का चूना लगाया था. 2018 में उसका भंडाफोड़ हो गया. इसके बाद वह अपने परिवार के साथ भारत छोड़कर चला गया. मोदी ने अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पीएनबी के साथ धोखाधड़ी की थी. 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया. मार्च 2019 में लंदन में गिरफ्तार करने के बाद उसे वेस्टमिंस्टर कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद उसे जमानत नहीं दी गई और वैंड्सवर्थ जेल भेज दिया गया.

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