नई दिल्ली। केरल में दो साल पहले कहर बरपा चुके जानलेवा निपाह वायरस के चमगादड़ से इंसान के अंदर पहुंचने की परिस्थितियों से पर्दा उठ गया है। छह साल के अध्ययन के बाद यह रहस्य खुल पाया है। इसका पता चल जाने से अगली बार इंसानों में इस वायरस के फैलने पर उसे काबू किया जा सकेगा। दरअसल, अपने संक्रमण की चपेट में आने वाले 75 फीसदी लोगों की जान लेने वाले निपाह वायरस का फैलाव मुख्य तौर पर चमगादड़ों की एक खास नस्ल से होता है, जिसे इंडियन फ्लाइंग फॉक्स कहा जाता है। केरल में 2018 में निपाह वायरस फैला था और इसके संक्रमण से 17 लोगों की जान गई थी। उस समय केरल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में किए गए अध्ययन में सामने आया था कि इंडियन फ्लाइंग फॉक्स इस वायरस को फैला सकता है।
निपाह वायरस फैलाने वाले स्रोत की जानकारी मिलने के बावजूद इसके इंसानों में पहुंचने का तरीका अभी तक पता नहीं चल पाया था। लेकिन हाल ही में पीएनएएस साइंस जनरल में प्रकाशित छह साल लंबे अध्ययन के बाद पता चला कि निपाह वायरस (एनआईवी) फल खाने वाले चमगादड़ों से फैलता है। लेकिन यह केवल उन क्षेत्रों में ही इंसानों के बीच नहीं फैलता, जहां इसका प्रकोप हुआ है बल्कि यह उन सभी क्षेत्रों में फैल सकता है, जहां इन चमगादड़ों की मौजूदगी है।
इस शोध का नेतृत्व कर रहे जोनाथन एप्सटिन के मुताबिक, निपाह वायरस का प्रकोप इंसानों में फैलने से रोकने के लिए हमें जानना होगा कि चमगादड़ कब इसे फैला सकता है। इस अध्ययन में चमगादड़ों में निपाह संक्रमण के पैटर्न को गहराई तक समझाने की कोशिश की गई है। जोनाथन अमेरिका की इकोहेल्थ एलायंस से जुड़े हैं और उस टीम का हिस्सा रह चुके हैं, जिसने 2002-03 में सार्स वायरस महामारी के जानवरों में फैलने के लिए जिम्मेदार हॉर्सशू चमगादड़ों की पहचान की थी।
केरल में 2018 में निपाह वायरस फैला था और इसके संक्रमण से 17 लोगों की जान गई थी। उस समय केरल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में किए गए अध्ययन में सामने आया था कि इंडियन फ्लाइंग फॉक्स इस वायरस को फैला सकता है। दुनिया के अन्य हिस्सों में भी यह वायरस अपना संक्रमण फैला चुका है।
जोनाथन का कहना है कि इस बात की सैद्धांतिक संभावना है कि साल के किसी भी समय इन चमगादड़ों के संपर्क में आने पर इंसानों में संक्रमण फैल सकता है। हालांकि इन चमगादड़ों का आसपास रहना भी अहम है, क्योंकि ये फलों के पेड़ों के बीजों की परागण प्रक्रिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, ऐसे में उनसे दूर रहना नहीं बल्कि वायरस ट्रांसमिशन के तरीकों को समझना ज्यादा महत्वपूर्ण है। वे कब हमारे खाने और पानी को संक्रमित करते हैं, यह जानना भी बेहद ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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