नई दिल्ली (New Delhi)। कुछ ही वर्ष में निपाह वायरस (Nipah virus) का संक्रमण (Infection) देश के दक्षिण से अब उत्तर और पूर्वोत्तर राज्यों (North and Northeast states) तक पहुंच रहा है। भारतीय वैज्ञानिक (Indian scientist) दक्षिणी राज्यों (southern states) को निपाह वायरस की पट्टी मानते हैं लेकिन हाल ही में सामने आए सीरो सर्वे में पता चला है कि वायरस दूसरे राज्यों तक पहुंच रहा है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने बीते तीन साल में दूसरी बार निपाह वायरस को लेकर राष्ट्रीय सीरो सर्वे पूरा किया है जिसमें 10 राज्यों के चमगादड़ों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली हैं। इनमें दो केंद्र शासित राज्य भी शामिल हैं।
एनआईवी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव (Dr. Pragya Yadav) ने बताया कि किसी भी वायरस की मौजूदगी का पता लगाने का विकल्प एंटीबॉडी जांच है। चूंकि निपाह वायरस का स्रोत चमगादड़ों से जुड़ा है। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर चमगादड़ों के नमूने लेकर सीरो सर्वे किया गया। जिन नए राज्यों की चमगादड़ों में एंटीबॉडी मिले हैं उनमें गोवा, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय शामिल है। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और पुडुचेरी में पहले भी एंटीबॉडी मिली हैं।
इन राज्यों में नहीं मिला वायरस
वैज्ञानिकों ने इसी साल 14 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षण पूरा किया। इनमें तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और चंडीगढ़ शामिल है जहां के नमूनों में निपाह वायरस की मौजूदगी का पता नहीं चला है।
एंटीबॉडी मिलने का क्या है मतलब
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि जब भी कोई वायरस इंसान या जानवर को अपनी चपेट में लेता है तो कुछ ही समय में संक्रमित व्यक्ति या जानवर के शरीर में वायरस के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी बनने लगती हैं। अगर हमें एंटीबॉडी की पहचान हो रही है तो इसका मतलब है कि पूर्व में कभी उक्त व्यक्ति या जानवर को संबंधित संक्रमण हुआ होगा।
अब सर्वे के बाद क्या?
वैज्ञानिकों के अनुसार, सीरो सर्वे के आधार पर जिन राज्यों में एंटीबॉडी पाए गए हैं, वहां के स्थानीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार से वायरस प्रसार की रोकथाम को लेकर तौर तरीके बताए जाते हैं ताकि कोई भी संदिग्ध मामला सामने आता है तो तत्काल क्वारंटीन वगैरह की व्यवस्था की जा सके।
क्या है निपाह बेल्ट…
मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि निपाह वायरस के तीन मामले लगातार वर्षों में केरल में सामने आए हैं। वहां यह संक्रमण तीन इंसानों में मिला है, लेकिन अब तक उसके स्रोत का पता नहीं चला। यह एक प्रकार से संकेत भी हो सकता है जो भविष्य को लेकर किसी बड़ी चुनौती से बचने की जानकारी दे रहा हो।
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