– शहर में कोरोना की चेन तोडऩा जरूरी
– इस सप्ताह 1 हजार तक पहुंच सकता है प्रतिदिन संक्रमितों का आंकड़ा, नहीं रोका तो गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेंगे
इंदौर। शहर में अब जिस तरह से मरीज बढ़ रहे हैं, उससे कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की चेन तोडऩा जरूरी हो गया है। 17 मार्च से शहर में नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) लगाया गया है, जिससे लोगों का मेलजोल कम हो सके, लेकिन इस दिन औसतन 300 मरीज निकल रहे थे, जिनकी संख्या अब दोगुने से भी बढ़ गई है, यानि नाइट कर्फ्यू शहर के लिए पर्याप्त नहीं है। वहीं सख्ती नहीं किए जाने से लॉकडाउन (Lockdown) वाले दिन भी बड़ी संख्या में शहर में लोग निकल रहे हैं।
पूरे प्रदेश में इंदौर ही एकलौता शहर है, जहां कोरोना (Corona) के सबसे ज्यादा मरीज अस्पताल में भर्ती हैं और लगातार नए मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अभी अस्पतालों (Hospital) और होम आइसोलेशन (Isolation) में 6 हजार 281 मरीज भर्ती हैं। वहीं कल 866 मरीज निकलने के बाद संक्रमण दर 15 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जिस तरह से लगातार मरीज बढ़ते जा रहे हैं, उससे कहीं न कहीं लग रहा है कि शहर में कोरोना बढऩे का कारण मेल-मिलाप और बाजारों में उमडऩे वाली भीड़ है, जो बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के बाजार में घूमती रहती है। वहीं जिला प्रशासन के कड़े प्रतिबंध के बाद भी कुछ खान-पान के ठिये पर बेरोकटोक खाना-पीना जारी है, जबकि सभी रेस्टारेंट और नाश्ते की दुकान वालों से कहा गया है कि वे टेक-अवे की सुविधा देवें। पिछले साल जब शहर में प्रतिदिन मरीजों का आंकड़ा बढ़ते जा रहा था तब लॉकडाउन लगा दिया गया था ताकि लोगों का संपर्क रूके। हालांकि जब भी मरीज बढ़े थे, लेकिन इनका आंकड़ा ज्यादा नहीं था। परिणाम स्वरूप जून के अंत तक कोरोना की पहली लहर कंट्रोल में आने लगी थी और अस्पताल में मरीज क म होने लगे थे, लेकिन इस बार न तो लॉकडाउन (Lockdown) है और न ही नाइट कर्फ्यू का सख्ती से पालन किया जा रहा है। रविवार को भी लॉकडाउन में लोगों की चहल-पहल सडक़ों पर देखी जा सकती है, जिससे कोरोना की चेन नहीं तोड़ी जा सकी है। 17 मार्च को 294 मरीज थे और कल इससे तीन गुना मरीज निकले हैं। मतलब नाइट कर्फ्यू का असर ज्यादा नहीं हुआ है और न ही एक दिन के लॉकडाउन (Lockdown) का। इसको लेकर अब सरकार और प्रशासन को कोरोना की रफ्तार रोकने के लिए कड़े कदम उठाना होंगे।
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