नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली (Delhi) स्थित देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के सर्वर हैक मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) जांच कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक, मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी. उल्लेखनीय है कि करीब हफ्तेभर से एम्स का सर्वर रैंसमवेयर हमले (Ransomware Attack) से जूझ रहा है. बुधवार (23 नवंबर) को एम्स का सर्वर हैक होने का मामला सामने आया था.
उच्च स्तरीय बैठक में ये अधिकारी हुए शामिल
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय में बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक में एम्स प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के अलावा, खुफिया ब्यूरो, एनआईसी, एनआईए, दिल्ली पुलिस और एमएचए के वरिष्ठ अधिकारियों समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए. एनआईसी के अधिकारियों ने बैठक में कहा कि जल्द ही एम्स के सर्वर को सुचारू रूप से काम करने के लिए ठीक कर लिया जाएगा.
200 करोड़ की फिरौती की बात पर दिल्ली पुलिस ने यह कहा
एम्स से जुड़े सूत्रों से खबर आई थी कि हैकरों ने 200 करोड़ रुपये की फिरौती क्रिप्टोकरेंसी के रूप में मांगी है. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने जानकारी से इनकार किया था. दिल्ली पुलिस का कहना था कि एम्स के अधिकारियों ने किसी तरह की फिरौती मांगे जाने से इनकार किया है.
आतंकी एंगल से होगी जांच?
एनआईए आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों की जांच करती है. बहुत संभावना है कि एम्स सर्वर हैक मामले में एनआईए आतंकी एंगल खंगालेगी. जानकारी के मुताबिक, एम्स के सर्वर में करोड़ों मरीजों के अलावा, बड़ी संख्या में कई वीवीआईपी के डेटा भी मौजूद हैं. ऐसी आशंका है कि रैंसमवेयर हमले के कारण डेटा असुरक्षित हो सकता है.
जांच एजेंसियों की सिफारिश पर एम्स के कम्प्यूटरों पर इंटनेट सेवा रोकी गई है. भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (CERT-In), गृह मंत्रालय के अधिकारी और दिल्ली पुलिस की टीमें रैंसमवेयर हमले की जांच में पहले से जुटी हैं. शुक्रवार (25 नवंबर) को दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) इकाई ने साइबर आतंकवाद और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया था.
एम्स में मैनुअली चल रहा काम
जानकारी के मुताबिक, फिलहाल एम्स में इमरजेंसी, ओपीडी, भर्ती रोगी, पेशेंट केयर और लैब जैसी सेवाएं मैनुअली चल रही हैं. अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 25 सर्वर और करीब 700 कंप्यूटरों को स्कैन कर लिया गया है. एम्स के सूत्रों के मुताबिक, करीब 1200 कंप्यूटरों में एंटीवायरस इंस्टॉल करने का काम किया जा चुका है.
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