नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह रेलवे स्टेशन चलाने की अनुमति संबंधी आवेदन पर 6 महीने के अंदर फैसला करें। एनजीटी ने राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वो ट्रेनों के डिब्बों से निकलने वाले कचरे का निस्तारण गंतव्य स्टेशन पर ही करे। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा टायलेट के मल का निस्तारण स्टेशन पर नहीं किया जाए।
एनजीटी ने इस बात पर गौर किया कि 720 बड़े रेलवे स्टेशनों में से केवल 11 ने ही वाटर एक्ट और एयर एक्ट के तहत स्वीकृति के लिए आवेदन दाखिल किया है। एनजीटी ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्यों की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कानून का पालन नहीं करने वाले स्टेशनों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। एनजीटी ने कहा कि रेलवे बोर्ड भी अपनी मॉनिटरिंग प्रक्रिया शुरू करके यह पता लगा सकता है कि कौन स्टेशन पर्यावरण कानूनों का पालन कर रहे हैं और कौन नहीं।
एनजीटी ने कहा कि जो स्टेशन चलाने की अनुमति के लिए आवेदन कर रहे हैं, उनसे 1 अप्रैल 2020 से चार्ज वसूला जाएगा उसके पहले से नहीं। एनजीटी ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत रेलवे लाइनों की साफ सफाई के लिए समयबद्ध एक्शन प्लान बनाया गया है। रेलवे लाइनों पर खुले में शौच करने और अतिक्रमण को हटाने के लिए भी योजना बनाई गई है। पहले की सुनवाई में एनजीटी ने रेलवे स्टेशनों को निर्देश दिया था कि वे पर्यावरणीय मंजूरी हासिल करें क्योंकि स्टेशनों पर प्रदूषण फैलाने का काम बदस्तूर जारी है।
एनजीटी ने कहा कि एनवायरमेंट एक्ट सभी बड़े रेलवे स्टेशनों पर लागू होता है। एनजीटी ने रेलवे को निर्देश दिया था कि वो देश भर में 36 स्टेशनों की पहचान कर उन्हें ईको-स्मार्ट स्टेशन के रुप में विकसित करे और वहां के प्लेटफार्म और रेलवे लाइन पर की जा रही साफ-सफाई संबंधी एक्शन प्लान सौंपे। यह याचिका सलोनी सिंह और आरुष पठानिया ने दायर की है जिसमें कहा गया है कि रेलवे में साफ-सफाई और पर्यावरण नियमों के पालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाएं।
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