नई दिल्ली: साल 2023 में देश की कंपनियां 2021 के मुकाबले ज्यादा शेयर बाजार (Share Market) में डेब्यू करने जा रही हैं. प्राइमडेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार लगभग 89 कंपनियां 2023 में लगभग 1.4 ट्रिलियन रुपये जुटाने के लिए दलाल स्ट्रीट पर कदम रखने जा रही हैं. 2021 में आईपीओ (IPO) के माध्यम से फंड जुटाने के लिए कुल 63 फर्मों ने भारत में आईपीओ के माध्यम से 1.19 ट्रिलियन रुपये जुटाए थे, जबकि 2022 में नवंबर तक 33 कंपनियों ने 55,145.80 करोड़ रुपए जुटाए हैं. दरअसल, कुछ फंड मैनेजर्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में आईपीओ ने उन्हें अल्फा रिटर्न जेनरेट करने में मदद की है.
आईपीओ से मिलता है बेहतरीन रिटर्न
आईडीएफसी एमएफ के अनूप भास्कर ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बाजार बहुत फ्लैट हो गए हैं. एचडीएफसी बैंक को खोजना आसान नहीं है जैसा कि हमने 2008 में किया था, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ सालों में आईपीओ में अल्फा जेनरेशन आया है. हालांकि, कुछ निवेशक अब आईपीओ में निवेश करने से हिचकिचाते रहे हैं. इसका कारण यह है कि हाल ही में कई लिस्टिड कंपनियों के शेयर उनके इश्यू प्राइस से नीचे कारोबार कर रहे हैं.
ये प्रमुख कंपनियां लेकर आ सकती है आईपीओ
रिपोर्टों में कहा गया है कि बोड ने अपने आईपीओ प्लान को टाल दिया और निजी निवेशकों से 60 मिलियन डाॅलर जुटाए, अस्थिर शेयर बाजार पर जारी चिंताओं के बीच और स्नैपडील ने कथित तौर पर मौजूदा बाजार स्थितियों का हवाला देते हुए अपने आईपीओ को लाने से मना कर दिया है. मुनाफे में चल रही ओला अगले साल आईपीओ लाने पर विचार कर सकती है, हालांकि अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. स्विगी भी आने वाले साल में अपना आईपीओ लाने की योजना बना रही है. कंपनी का 1 बिलियन डाॅलर जटाने का प्लान है.
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