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    GST काउंसिल की अगली बैठक 21 दिसंबर को, ATF को दायरे में लाने की संभावना पर हो सकता है मंथन

  • December 20, 2024

    नई दिल्ली। माल और सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल (Goods and Services Tax (GST) Council) की बैठक आगामी 21 दिसंबर 2024 को होने वाली है। राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर (Jaisalmer) में होने वाली बैठक में एविएशन टरबाइन फ्यूल (Aviation Turbine Fuel-ATF) को जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना पर विचार किया जा सकता है। काउंसिल की 55वीं बैठक में इस पर विचार करना है कि ATF को जीएसटी के तहत लाया जाए या यथास्थिति बनाए रखा जाए। वर्तमान में ATF पर 11% केंद्रीय उत्पाद शुल्क (11% Central Excise Duty) लगता है। इसके अलावा, ATF अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दरों पर मूल्य वर्धित कर (वैट) के अधीन है, क्योंकि प्रत्येक राज्य एक अलग वैट दर लगाता है।


    क्या होगा फायदा
    यदि ATF को जीएसटी व्यवस्था के तहत लाया जाता है तो यह निर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने की अनुमति देकर व्यापक करों को खत्म करने में मदद करेगा। इससे रिफाइनरी स्तर पर ATF की कुल लागत में काफी कमी आ सकती है, विमानन उद्योग के लिए संभावित रूप से लागत कम हो सकती है और बेहतर मूल्य पूर्वानुमान और स्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है।

    क्या कहा पीएमओ के सलाहकार ने
    प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सलाहकार तरुण कपूर ने कहा है कि सरकार इस वित्तीय वर्ष के भीतर विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) और प्राकृतिक गैस को माल और सेवा कर (जीएसटी) शासन के तहत लाने के लिए काम कर रही है। कपूर ने पुष्टि की कि इस बदलाव को लागू करने के लिए चर्चा चल रही है, जो अलग-अलग क्षेत्रों, विशेषकर विमानन और ऊर्जा से लंबे समय से मांग रही है। इस विषय पर चल रही चर्चाओं का मकसद एटीएफ के लिए टैक्स स्ट्रक्चर को सुव्यवस्थित करना है।

    तंबाकू समेत अन्य उत्पादों पर अधिक टैक्स लगाने की मांग
    इस बीच, जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले स्वास्थ्य और आर्थिक विशेषज्ञों ने तंबाकू और इस तरह के अन्य हानिकारक उत्पादों पर अधिक ‘सिन टैक्स’ लगाने का आह्वान किया है, ताकि इनकी खपत पर अंकुश लगाया जा सके। विशेषज्ञों ने तंबाकू उत्पादों पर 35 प्रतिशत ‘सिन टैक्स’ स्लैब के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) की हालिया सिफारिश का समर्थन किया, जो मौजूदा 28 प्रतिशत से अधिक है। बता दें कि तंबाकू, शराब, मादक द्रव्य, शीतल पेय और कई अन्य पदार्थ ‘सिन गुड्स’ की श्रेणी में आते हैं जिन्हें समाज के लिए हानिकारक माना जाता है तथा ‘सिन टैक्स’ की अवधारणा इसी तरह के उत्पादों पर कर लगाने से संबंधित है।

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