नई दिल्ली: कोविड-19 सब-वेरिएंट JN.1 (Covid-19 sub-variant JN.1) के अब तक गोवा, केरल और महाराष्ट्र (Goa, Kerala and Maharashtra) में मामले पाए गए हैं. वहीं देशभर में अब तक कोविड-19 सब-वेरिएंट JN.1 के 21 मामले सामने आ चुके हैं. गोवा, केरल और महाराष्ट्र में नए कोरोना वायरस वैरिएंट के मामले (corona virus cases) सामने आए हैं. इनमें सबसे अधिक गोवा में अब तक कोविड सब-वेरिएंट JN.1 के 19 मामले सामने आए हैं, जबकि केरल और महाराष्ट्र में एक-एक मामले का पता चला है.
देश भर में कोविड मामलों में बढ़ोतरी के बीच, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने बुधवार को कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सतर्कता जरूरी है. इससे पहले केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों ने कोरोना को लेकर एडवाइजरी जारी की थी. इसमें कहा गया था कि बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और लंबे समय से बीमार लोगों को भीड़- भाड़ से बचना चाहिए. ऐसे लोगों को मास्क लगाने को कहा गया था. लोगों को सलाह दी गई थी कि वे पर्याप्त हवादार जगहों पर ही रहें.
आईसीएमआर के कोविड टास्क फोर्स के चेयरमेन रहे और अब भारत के नेशनल टैक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के चीफ डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि पैनिक करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. यह सामान्य वैरिएंट है. यह खतरनाक नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का ये नया वेरिएंट खतरनाक नहीं है लेकिन सर्दी, जुकाम, वायरल में जैसे सावधानियां बरतते हैं और परिवार में एक के होने पर दूसरे लोग इसकी चपेट में न आएं, ऐसे बचाव करते हैं, वैसे करते रहें. हाथों को साबुन से धोएं, भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें.
दरअसल कोरोना वैरिएंट ओमिक्रॉन वंश का वंशज, JN.1 पिछले कुछ हफ्तों में सबसे तेजी से फैलने वाले वायरस में से एक बन गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने JN.1 को एक अलग ‘वैरीअंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है. इसका सबसे पहला केस अगस्त में लक्जमबर्ग में पाया गया. इसके बाद यह धीरे-धीरे 36 से 40 देशों में फैल गया.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने राज्यों को कोविड की तैयारी बढ़ाने, परीक्षण बढ़ाने और अपनी निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया. इस बीच, केंद्र ने देश भर में कोविड के मामले बढ़ने के कारण राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने को कहा है. सलाह में राज्यों को नियमित आधार पर सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में जिलेवार इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के मामलों की निगरानी और रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया.
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