नई दिल्ली। कोरोना वायरस (corona viruses) जैसे तीन नए खतरनाक वायरस (three new dangerous viruses) मिलने से वैज्ञानिक दहशत (Scientist Panic) में हैं। कोरोना वायरस (corona viruses) से 96 फीसदी समरूपता दिखाने वाले तीनों वायरस लाओस के चमगादड़ों से लिए गए नमूने में पाए गए। अब तक ज्ञात सभी वायरस में इन्हें कोरोना का सर्वाधिक निकटवर्ती बताया जा रहा है।
संक्रमण का खतरा:
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के वैज्ञानिक डेविड ने इन वायरस को काफी डरावना बताया है। भय की सबसे बड़ी वजह यह है कि नए वायरस मानव को संक्रमित करने में सक्षम हैं। ‘द नेचर’ जर्नल की खबर में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि नए वायरस में उसी तरह का रिसेप्टर बाइंडिंग डोमने पाया गया है जैसा कि कोरोना वायरस में पाया जाता है।
ढेरों नए कोरोना वायरस के संकेत:
वैज्ञानिकों की इस खोज से यह भी आशंका जताई जा रही है कि धरती पर बड़ी संख्या में कोरोना वायरस हो सकते हैं। पेरिस स्थित पाश्चर इंस्टीट्यूट के विषाणु वैज्ञानिक मार्क एलोइट ने अपने सहयोगियों के साथ लाओस स्थित एक गुफा से 645 चमगादड़ों के नमूने लिए। इनमें से विशेष प्रजाति के तीन चमगादड़ों में तीनों नए वायरस मिले जिनके नाम हैं-बीएएनएएल-52, बीएएनएएल-103 और बीएएनएएल-236 (BANAL-52, BANAL-103 and BANAL-236)। इनमें से बीएएनएल-52 की कोरोना वायरस से समरूपता 96.8 फीसदी है।
कोरोना उत्पत्ति की पहेली सुलझी :
वैज्ञानिकों के मुताबिक तीनों नए वायरस के जेनेटिक कोड उन दावों को मजबूत करते हैं जिसमें कोरोना वायरस की उत्पत्ति को प्राकृतिक माना गया है। सिडनी यूनिवर्सिटी के विषाणु वैज्ञानिक एडवर्ड होम्स के मुताबिक जब हमने पहली बार कोरोना वायरस का जेनेटिक सिक्वेंस तैयार किया तो जो रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन मिला, वह हमारे लिए अनदेखा और नया था, इससे कुछ लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि वायरस की उत्पत्ति लैबोरेटरी में हुई है। लेकिन लाओस में मिले नए वायरस से साफ हो गया है कि कोरोना वायरस की प्रकृति की देन है। सिंगापुर की ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल की विशेषज्ञ लिंफा वांग ने भी कोरोना वायरस की उत्पत्ति को प्राकृतिक बताया।
चीन में हुए अनुसंधान को चुनौती:
नए वायरस का पता लगाने वाले वैज्ञानिकों ने चीन में किए गए उस शोध के नतीजे को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि चीन के चमगादड़ों में कोरोना वायरस से समरूपता दिखाने वाले वायरस नहीं मिले हैं। चीन के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2016 से 2021 के बीच 13000 चमगादड़ों का परीक्षण करने के बाद यह दावा किया है। चीनी विशेषज्ञों के मुताबिक चीन में पाए जाने वाले चमगादड़ों में अपवाद या बहुत बिरले मामले में ही कोरोना जैसा वायरस मिल सकता है। लेकिन ताजा शोध में शामिल होम्स ने कहा-चीन के युन्नान में मिले चमगादड़ में जब कोरोना वायरस जैसा वायरस पहले ही पाया जा चुका है, तो चीनी शोधकर्ता यह कैसे कह सकते हैं कि चीन के चमगादड़ों में कोरोना जैसा वायरस नहीं पाया जाता।
द. एशिया कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट:
हनोई स्थित वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी वियतनाम के विशेषज्ञ एलिस लाटिन्ने ने कहा-थाईलैंड, कंबोडिया और दक्षिण चीन के युन्नान में अब तक मिले कोरोना वायरस कुल के अन्य वायरस के अध्ययन से साफ हो गया है कि दक्षिण एशिया कोरोना जैसे अन्य वायरस का हॉटस्पॉट है। बताया जा रहा है कि समरूपता दिखाने वाले वायरस और कोरोना वायरस का मूल वायरस 40 से 70 साल पहले एक ही वायरस था।
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