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    नई तकनीक, दो से तीन इंच तक हड्डियां उगाने में सफल हुए डॉक्टर, दुर्घटना में क्षतिग्रस्त छोटे हाथ-पैर भी हो सकते हैं सामाान्य

  • March 07, 2023

    इंदौर। जन्म से आधा पैर या हाथ लेकर पैदा हुए लोगो को अब आजन्म विकलांग नहीं रहना होगा। 3 इंच से ज्यादा लंबाई की हड्डियां मरीज के शरीर में ही उगाकर डॉक्टर उन्हें नया जीवन दे रहे है। 50 से ज्यादा जन्मजात बीमारियां भी ठीक कर रहे हैं।


    शहर के डॉक्टरों ने यह कारनामा कर दिखाया है। एलिजारोव तकनीक की मदद से जन्मजात विकृति के कारण नहीं बने पैर को भी विकसित कर चुके डॉक्टर ने बताया कि इस तकनीक से पंजे को भी बनाया जा सकता है, जो जन्म से थे ही नहीं। इतना ही नहीं एक्सीडेंट या किसी इंफेक्शन के कारण विकृत हुए पैरों को भी इस टेक्निक के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। कई सफल इलाज करने के बाद 200 से अधिक डॉक्टरो को तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया।आसमिकोंन कॉन्फ्रेंस के सेक्रेटरी डॉ जयंत शर्मा (Dr. Jayant Sharma, Secretary, Aasmikon Conference) ने बताया कि पैरों का टेढ़ापन और घुटनों में दर्द शुरू होने पर लोग सही इलाज लेने के बजाए, सिर्फ दर्द निवारक खाकर स्थिति को टालने का प्रयास करते हैं, जिससे अतत: घुटने इतने खऱाब हो जाते हैं कि मरीज को घुटने का प्रत्यारोपण ही करवाना पड़ता है, जबकि एलिजारोव तकनीक की मदद से सही समय पर पैरों का अलाइमेंट ठीक कराकर नी-रिप्लेसमेंट की जरूरत ही नहीं होगी।

    यह है एलिजारोव तकनीक

    डॉ अनिल महाजन (Dr. Anil Mahajan) ने बताया कि रूस के विख्यात डॉक्टर गैवरिल ए एलिजारोव के नाम पर इस तकनीक का नाम पड़ा है। डॉ एलिजारोव ने एक ऐसे उपकरण का इजाद किया था, जिसमें स्टील के बने कई छल्ले होते थे और जो कई तारों के जरिए हड्डियों को नया आकार दे पाते थे। इस तकनीक का ही कमाल था कि उन्होंने टेढ़ी हड्डियों को सीधा करने, छोटी हड्डियों को लंबा करने और बौनेपन को खत्म करने में महारत हासिल की थी। यही तकनीक एलिजारोव तकनीक के नाम से जानी जाती है। को-ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी अरविन्द वर्मा जांगिड़ ने केस हिस्ट्री प्रेजेंट की उन्होंने बताया शहर में पहली बार हुई इस कॉन्फ्रेंस में 7 देशों के 200 डेलीगेट्स और 43 फैकल्टीज शामिल हुए है।  कॉन्फ्रेंस के दौरान नी प्रिजर्वेशन को लेकर बेसिक और एडवांस लेवल की दो वर्कशॉप हुई।

    मरीज की जागरूकता और सर्जन्स की ट्रेनिंग है जरुरी

    कॉन्फ्रेंस की ऑर्गेनाइजिंग टीम के सदस्य डॉ डीके शर्मा और डॉ प्रश्नात उपाध्याय ने बताया कि देश में बहुत कम ऑर्थोपेडिक सर्जन है, जो एलिजारोव तकनीक के एक्सपर्ट है। यही कारण है कि हम मरीज जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए लोगों को इस तकनीक की जानकारी दे रहे हैं ताकि लोग समय पर सही चिकित्सक से मिलकर उचित इलाज ले पाएं और उन्हें बेहतर क्वालिटी ऑफ़ लाइफ दी जा सकें। साथ ही हम ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों को एलिजारोव टेक्निक की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।

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