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    इंदौर मेट्रो के अंडरग्राउंड ट्रैक की नई सर्वे रिपोर्ट शासन को सौंपी

  • July 25, 2024

    मामला एमजी रोड के बजाय खजराना या बंगाली चौराहा से ही अंडरग्राउंड करने का, पिछले दिनों विभागीय मंत्री की बैठक में बदलाव की उठी थी पुरजोर मांग, भोपाल से मंजूरी के बाद दिल्ली जाएगी फाइल
    इंदौर। मेट्रो के अंडरग्राउंड ट्रैक (Metro’s underground track) की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है। विभागीय मंत्री (Departmental Ministers) द्वारा ली गई बैठक में जो सुझाव जनप्रतिनिधियों और अन्य जानकारों से आए उसके आधार पर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (Metro Rail Corporation) ने खजराना और बंगाली चौराहा सहित अन्य विकल्प पर तैयार सर्वे रिपोर्ट शासन को निर्णय के लिए सौंप दी है, जिसमें पीपल्याहाना चौराहा और कृषि कॉलेज से एमवाय अस्पताल होते हुए रीगल के अंडरग्राउंड ट्रैक को व्यावहारिक नहीं बताया गया है। अब भोपाल से इसका निर्णय होने के बाद दिल्ली फाइल जाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार का ही मेट्रो प्रोजेक्ट है और वहीं से ट्रैक में संशोधन करना है अथवा नहीं उसका निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल तो एलिवेटेड कॉरिडोर पर ही काम चल रहा है।

    इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट भोपाल की तरह लेटलतीफी का शिकार है, जिसमें कुछ समय पूर्व तेजी आई और साढ़े 5 किलोमीटर का प्रायोरिटी कॉरिडोर तैयार कर उस पर ट्रायल रन भी सफलतापूर्वक ले लिए गए। फिलहाल गांधी नगर से लेकर सुपर कॉरिडोर होते हुए विजय नगर, रेडिसन और रोबोट चौराहा तक के साढ़े 17 किलोमीटर तक के पहले चरण के एलिवेटेड कॉरिडोर का काम चल रहा है, जिस पर एक साल के भीतर व्यावसायिक संचालन शुरू करने के भी प्रयास हैं। दूसरी तरफ रोबोट से खजराना, बंगाली चौराहा और वहां से पलासिया होते हुए हाईकोर्ट, एमडी रोड तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनना है और फिर वहां से अंडरग्राउंड ट्रैक शुरू होगा, जो रीगल, राजबाड़ा, बड़ा गणपति, रामचंद्र नगर होता हुआ एयरपोर्ट तक पहुंचेगा। हालांकि मेट्रो कॉर्पोरेशन ने अपने पूर्व में मंजूर किए अंडरग्राउंड ट्रैक को ही अभी तक सही माना है और उसी के आधार पर उसकी टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी, तो दूसरी तरफ रोबोट से एमजी रोड तक के एलिवेटेड कॉरिडोर का भी ठेका मंजूर करते हुए कार्यादेश जारी कर दिया और मौके पर खजराना चौराहा तक काम भी शुरू हो गया है। मगर पिछले दिनों विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में अंडरग्राउंड ट्रैक को लेकर नए सिरे से विचार-विमर्श हुआ, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने पूर्व में मंजूर किए गए अपने अंडरग्राउंड ट्रैक को ही नकार दिया। उसे खजराना या बंगाली चौराहा अथवा कृषि कॉलेज से अंडरग्राउंड करने की मांग कर दी, जिसके चलते अंडरग्राउंड ट्रैक को लेकर विरोधाभास की स्थिति निर्मित हो गई, क्योंकि मेट्रो कॉर्पोरेशन दूसरे और तीसरे चरण के प्रोजेक्ट में काफी आगे बढ़ चुका है। अब अगर ट्रैक का अलाइनमेंट बदलता है तो नए सिरे से पूरी कवायद करना पड़ेगी और जो रोबोट से एमजी रोड तक का एलिवेटेड कॉरिडोर का ठेका दिया है उसे भी रद्द करना पड़ेगा और संभव है ठेकेदार फर्म कोर्ट-कचहरी का सहारा भी ले। बहरहाल, कॉर्पोरेशन ने अंडरग्राउंड ट्रैक का नया सर्वे कर उसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। उसके पहले विभागीय मंत्री विजयवर्गीय के साथ भी इस नई सर्वे रिपोर्ट पर विचार-विमर्श किया जाएगा और अगर फिर बदलाव करना पड़े तो उसकी मंजूरी दिल्ली, यानी केंद्र से लेना पड़ेगी। दरअसल केंद्र सरकार ने ही इंदौर-भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है और उसका शहरी विकास मंत्रालय ही तय करेगा कि अंडरग्राउंड ट्रैक का अलाइनमेंट बदला जाए अथवा नहीं, क्योंकि बदलाव करने पर जहां पूर्व में मंजूर और जारी किए गए टेंडरों को निरस्त करना पड़ेगा, वहीं एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का खर्च भी बढ़ेगा और साथ ही प्रोजेक्ट को पूरा करने की समयसीमा भी बढ़ाना पड़ेगी। अभी रोबोट से एबी रोड तक के कॉरिडोर का ठेका 545 करोड़ में दिया है और 5.3 किलोमीटर में यह कॉरिडोर बनना है।

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