न्यूयॉर्क। आम तौर पर मोतियाबिंद (Cataract Study)की सर्जरी(surgery) इसलिए की जाती है, ताकि आंखों की दृष्टि सामान्य की जा सके. ऐसा होता भी है. सर्जरी(surgery के बाद उम्रदराज लोगों की दृष्टि में महत्वपूर्ण सुधार(Significant improvement in vision of older people) देखने को मिलते हैं. पर इस सर्जरी के कुछ फायदे और भी हैं.
जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन Journal of American Medical Association (JAMA) में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया है कि मोतियाबिंद की सर्जरी से अल्जाइमर (Amnesia) रोग और भूलने की बीमारी के जोखिम कम हो जाते हैं. दशकों तक चलने वाली इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने 65 साल से ज्यादा उम्र वाले 3038 पुरुष और महिलाओं को शामिल किया था. इनमें से 1382 की कैटरेक्ट यानी मोतियाबिंद की सर्जरी हुई. बाकी की नहीं हुई.
शोधकर्ताओं ने पाया कि सर्जरी कराने वाले बुजुर्गों में डिमेंशिया और भूलने संबंधी अन्य बीमारियों का जोखिम 29% तक कम था. शोधकर्ताओं ने ग्लूकोमा सर्जरी के आधार पर भी विश्लेषण किया, लेकिन इसका कोई खास असर डिमेंशिया रोग पर नहीं दिखा. स्टडी में शामिल प्रतिभागियों की पढ़ाई-लिखाई, धूम्रपान की आदत, हाई बीपी और ज्यादा BMI जैसे कारकों पर भी ध्यान दिया गया. इस दौरान एक बड़ी बात यह नजर में आई कि मोतियाबिंद सर्जरी कराने वालों में एपीओई-ई4 जीन नहीं था, जो अल्जाइमर का जोखिम बढ़ा देता है. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में ऑप्थेल्मोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सेसेलिया एस ली कहते हैं कि हम नतीजे देखकर हैरान थे. डॉ. ली के मुताबिक लोग तर्क दे सकते हैं कि जब सर्जरी के लिए पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं तो संभव है कि भविष्य में डिमेंशिया जैसी बीमारी का जोखिम उन पर न रहे. डॉ. ली का मानना है कि जब हम इसकी तुलना ग्लूकोमा सर्जरी से करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कैटरेक्ट का रोग सिर्फ आंखों की सर्जरी तक सीमित नहीं है, इसके अन्य प्रभाव भी हैं. इस स्टडी से पहले के शोधों के उन नतीजों को भी बल मिलता है, जिनके मुताबिक वर्कआउट, सामाजिक संपर्क, पढ़ने या फिर बौद्धिक गतिविधियों से विजन और हियरिंग लॉस के साथ बुद्धि संबंधी गिरावट के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारकों को खत्म कर सकते हैं.