नई दिल्ली । अगर आप शेयरों में ट्रेडिंग करते हैं या डिविडेंड से आपको अच्छी खासी इनकम होती है तो आप 1 अप्रैल से यह जानकारी टैक्स विभाग से नहीं छिपा सकते हैं। ऐसा इसलिए है कि नए वित्त वर्ष में आपको शेयर ट्रेडिंग, म्युचुअल फंड्स में लेनदेन, डिविडेंड इनकम और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट या एनबीएफसी में डिपॉजिट के बारे में कर अधिकारियों को जानकारी देनी होगी। इतना ही नहीं यह जानकारी फॉर्म 26एएस में भी दिखेगी।
छिपाना होगा मुश्किल
अब तक टैक्सपेयर्स टैक्स बचाने या अन्य कारणों से शेयर ट्रेडिंग या म्युचुअल फंड ट्रांजैक्शन के बारे में खुलासा नहीं करते थे। अब आईटी विभाग के अधिकारी सीधे आपके ब्रोकरेज हाउस, एएमसी या पोस्ट ऑफिस से इन चीजों के बारे में जानकारी लेंगे, इसलिए टैक्सपेयर्स के लिए अपनी आय के स्रोत और निवेश के बारे में जानकारी छिपाना मुश्किल होगा।
बजट में सीतारमण ने की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister Nirmala Sitharaman) ने बजट भाषण में कहा कि अबसे आईटीआर फॉर्म में पहले से ही जानकारी भरी होगी। इनमें लिस्टेड शेयरों से कैपिटल गेन, डिविडेंड इनकम, पोस्ट ऑफिस और बैंक से ब्याज की इनकम शामिल है। इसका मकसद आईटीआर फाइलिंग की प्रक्रिया को आसान बनाना है। अब तक टैक्सपेयर्स नाम, पता, पैन, बैंक डीटेल, टैक्स पेमेंट और टीडीएस आदि के बारे में ही प्री-फिल्ड जानकारी मिलती थी।
सीबीडीटी का सर्कुलर
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 12 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया है। बचत योजनाओं में जमा पर मिलने वाले ब्याज को भी विशेष फंड ट्रासफर (SFT) में शामिल किया गया है। सीबीडीटी के अनुसार, सभी करदाताओं की कमाई से जुड़ी जानकारियों को आयकर विभाग तक पहुंचाने की जिम्मेदारी बैंकों, डाकघर, म्यूचुअल फंड हाउस, पंजीकृत कार्यालय (रजिस्ट्रार), बॉन्ड जारी करने वाली कंपनियों व अन्य वित्तीय संस्थानों पर होगी। इन संस्थानों को एक वित्त वर्ष में निश्चित सीमा से अधिक लेनदेन की जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी।
कौन देगा आपकी जानकारी
ये लेनदेन आयकर की धारा 114 ई के तहत एसएफटी में आते हैं। इसका मतलब हुआ कि अगर किसी निवेशक ने म्युचुअल फंड (Mutual Fund) बेचकर लाभ कमाया है, तो फंड हाउस उसके खाते की जानकारी आयकर विभाग तक पहुंचाएंगे। बैंक या डाकघर की बचत योजनाओं में जमा रकम पर मिले ब्याज की जानकारिया भी आयकर विभाग को देंगे। इसी तरह शेयर बाजार, कंपनिया, म्यूचुअल फंड हाउस, डाकघर आदि भी देंगे।
बड़े लेनदेन पर नजर
अभी विभाग सिर्फ बड़े लेनदेन पर नजर रखता है। विभाग इसके तहत बचत खाते में एक साल में 10 लाख से ज्यादा की नकदी जमा करने, शेयर खरीदने, एनसीडी या म्यूचुअल फंड में निवेश करने अथवा शेयर बायबैक की जानकारिया जुटाता है। इसके अलावा किसी साल में नकद राशि से एक लाख रुपये से ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने पर भी नजर है। पूरे वित्तीय वर्ष में किसी भी मोड से 10 लाख का बिल भरने की जानकारी भी आयकर विभाग जुटाता है। अब पूंजीगत लाभ, लाभाश, ब्याज आदि को शामिल करने से आयकर विभाग को पहले से भरे रिटर्न फॉर्म मुहैया कराने में आसानी होगी। सरकार ने पिछले बजट में पहले से भरे रिटर्न फॉर्म देने की घोषणा की थी।
कर चोरी रुकेगी
सभी तरह की कमाई का ब्योरा आयकर विभाग (Income tax department) के पास भेजने से कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी। इससे कोई चाह कर भी कर की चोरी नहीं कर पाएगा। वहीं, दूसरी ओर इससे रिटर्न भरने वालों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मनना है कि नोटबंदी के बाद से रिटर्न भरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी लेकिन उस अनुपात से कर संग्रह नहीं बढ़ा है। इस कदम से कर संग्रह भी बढ़ेगा।
छिपाया तो लगेगा जुर्माना
इस तरह आपके Annual information statement (AIS) में व्यापक आंकड़े होंगे। इस तरह टैक्सपेयर्स को अपनी सैलरी, ब्याज से हुई आय, डिविडेंड, म्युचुअल फंड्स और शेयरों से हुए कैपिटल गेंस को अपने आईटीआर में दिखाना होगा। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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