इंदौर, कमलेश्वर सिंह सिसोदिया। मध्य प्रदेश में रबी सीजन की सिंचाई जोरों पर चल रही है। किसान गेहूं, चने, आलू, मटर और अन्य फसलों में सिंचाई के लिए मोटर पंप चलाने के लिए बिजली का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। पिछले वर्ष से अधिकतम बिजली खपत से 500 मेगावाट ज्यादा खपत दर्ज की जा रही है, वहीं किसान यह भी चाहते हैं कि उन्हें दिन में 10 घंटे बिजली दी जाए।
रबी सीजन की सिंचाई के दौरान बिजली की सर्वाधिक मांग रहती है। नवंबर, दिसंबर और जनवरी 3 महीने बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर पर होती है। पिछले वर्ष रबी सीजन में मालवा-निमाड़ के 15 जिलों में बिजली की उच्चतम खपत 6500 मेगावाट के करीब रही थी, जो इस बार 6800 मेगावाट के करीब नवंबर के दूसरे सप्ताह में पहुंच गई थी। वर्तमान में 6975 मेगावाट के करीब बिजली खपत चल रही है, यानि पिछले वर्ष से 475 मेगावाट बिजली खपत इस बार ज्यादा हो रही है। रबी सीजन में इस बार एक पखवाड़ा पहले बिजली की डिमांड आ जाने से शुरुआती व्यवस्था लडख़ड़ाई थी, जिसे अक्टूबर के आखिर में दुरुस्त कर लिया गया था। इंदौर बिजली कंपनी में भी अक्टूबर की शुरुआत में 200 से 300 मेगावाट बिजली की शार्टेज भी हुई थी। इंदौर बिजली कंपनी में इस समय तकरीबन 6975 मेगावाट बिजली की खपत चल रही है। इसमें से 3200 मेगावाट खपत सिंचाई की मानी जा रही है।
अभी और बढ़ेगी डिमांड
बिजली की पिक डिमांड दिसंबर के पहले व दूसरे सप्ताह में आने की उम्मीद है। इस समय मोटर पंप पूरी क्षमता के साथ एक साथ शुरू होंगे। मालवा-निमाड़ में तकरीबन 500 मेगावाट बिजली की अतिरिक्त आवश्यकता होनी तय मानी जा रही है।
इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में 400 मेगावाट बिजली लग रही सिंचाई में
इंदौर ग्रामीण क्षेत्र में तकरीबन 900 मेगावाट के लगभग बिजली की खपत वर्तमान में है। इसमें औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल है। तकरीबन 400 मेगावाट के करीब बिजली की खपत सिंचाई के लिए हो रही है। ग्रामीण अधीक्षण यंत्री डा डीएन शर्मा ने बताया कि शुरुआती दौर में लोड शेडिंग की समस्या थी। पिछले तीन सप्ताह से बिजली सप्लाई पर्याप्त मिल रही है और किसानों की समस्या का भी त्वरित निराकरण किया जा रहा है।
लोड शेडिंग होने से एक साथ सप्लाई मुश्किल
लोड शेडिंग और ओवरलोड की समस्या जब डिमांड ज्यादा रहती है, तब रहना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग शिफ्ट में बिजली प्रदान की जाती है। दिन में 10 घंटे सिंचाई के लिए बिजली सप्लाई देना प्रैक्टिकल रूप से संभव नहीं है। इसमें तकनीकी दिक्कत आती है। इस कारण किसानों को दिन और रात दो शिफ्ट में अलग-अलग बिजली दी जा रही है।
पंप चलने से बिजली की खपत बड़ी
दिन प्रतिदिन सिंचाई का क्षेत्रफल तो बढ़ ही रहा है, वही एक साथ मोटर पंप चलने और खेतों में पानी देने के लिए बिजली की रिकॉर्ड खपत भी दर्ज हो रही है। पिछले वर्ष अधिकतम 6600 मेगावाट तक ही बिजली खपत पहुंची थी लेकिन इस बार 7000 मेगावाट तक पहुंची।
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