हर चौराहे पर पूरा अमला नया झोंका, रोज उलझते हैं वाहन चालक, यही बना सीएम से शिकायत का कारण
इंदौर। इंदौर में पिछले कई महीनों से यातायात पुलिस (Traffic Police) का अधिकांश नया अमला चौराहों (Crossroads) पर तैनात किया गया है। होना तो यह था कि इस अमले को पहले ट्रैफिक सुधार पर जोर देना था, लेकिन अमले में पहुंचे नए-नए सिपाही (Constable) और अधिकारी वसूली (Recovery) पर उतर आए और शहर का ट्रैफिक कबाड़ा करने के साथ-साथ रोज वाहन चालकों से विवाद करने की घटनाएं होने लगीं। इंदौर में कई ऐसे चौराहे वसूली के लिए कुख्यात हो गए, जहां से वाहन चालक बचकर निकलने में ही भलाई समझने लगे हैं।
शनिवार को इंदौर आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के सामने यातायात पुलिस के अमले की खूब शिकायतें हुईं। खासकर पुलिसकर्मियों के व्यवहार और उनकी चालानी कार्रवाई करने का तारीका मुख्यमंत्री के सामने रखा गया और बताया गया कि शहर के व्यस्ततम चौराहों पर भी पुलिस का अमला ऐसे तैनात हो जाता है, जैसे वे अपराधियों की धरपकड़ में लगे हों और जैसे ही कोई ऐसा व्यक्ति दिखता है, जो आसानी से उनके कब्जे में आ जाए, उसे पकड़ लिया जाता है और फिर शुरू होता है तोड़बट्टे का खेल। कई पुलिसकर्मी तो चलते वाहन की चाबी तक निकाल लेते हैं, इसमें भी विवाद हो जाता है। खासकर पुराने ई-चालान को लेकर वाहन चालक पर दबाव बनाया जाता है और उससे राशि वसूली जाती है। बस यहीं वाहन चालक घबरा जाता है और कुछ ले-देकर छूटने की कोशिश करता है। अगर उसके पास चालान की राशि भरने का पैसा नहीं होता है तो उसके साथ नए सिपाही बदतमीजी करते हैं और यहां तक कि वाहन को जब्त करने की धमकी तक दे देते हैं। बताया जाता है कि अधिकांश नए अधिकारियों के कारण ही ट्रैफिक पुलिस की बदनामी हुई और मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया। हालांकि अभी चालानी कार्रवाई कम हुई है, लेकिन ट्राफिक सुधार जैसी पहल अब तक नजर नहीं आई है।
बड़े वाहनों पर लगाम नहीं
यातायात पुलिस का टारगेट अधिकतर दोपहिया वाहन होते हैं और उसके बाद कार का नंबर आता है, लेकिन सार्वजनिक सेवा वाहनों को पुलिस नहीं पकड़ती। इनमें सिटी वैन, मैजिक वाहन, ऑटोरिक्शा, सिटी बस भी शामिल हैं। कई वैन और मैजिक की हालत तो यह है कि उनमें ना तो दरवाजे हैं और न ही अंदर बैठने की आरामदायक सीटें। यह भी नियम के उल्लंघन में आता है, लेकिन पुलिस इन पर कार्रवाई नहीं करती। हालांकि दिखावे की कार्रवाई दो-चार महीने में जरूर होती है।
कई इलाकों में क्रेन पर केवल ड्राइवर और हेल्पर
कई ट्रैफिक क्रेनों में देखा गया है कि उसमें केवल ड्राइवर और हेल्पर ही नजर आते हैं। वह अपने हिसाब से गाडिय़ां उठाते हैं और उन्हें छोड़ देते हैं। ऐसा सिख मोहल्ला और जेल रोड की गलियों में सरेआम देखने को मिल जाता है। यहां पार्किंग की व्यवस्था है नहीं और ट्रैफिक पुलिस की क्रेन बाजार के अंदर से ही वाहन उठाकर ले जाती है, जबकि विरोध के बाद यहां क्रेन की एंट्री ट्रैफिक एसीपी रहे महेशचंद जैन ने बंद कर दी थी।
पुलिकर्मियों के लिए ये हैैं कमाई के ठीए
मधुमिलन चौराहा, अग्रसेन चौराहा, भंवरकुआं चौराहा, विजय नगर चौराहा, टॉवर चौराहा, महू नाका, मालवा मिल, रिंग रोड के प्रमुख चौराहे, बायपास एंट्री के रास्तों पर।
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