वाशिंगटन । गूगल और फेसबुक के खिलाफ चल रही मुहिम में अब अमेरिका की बड़ी टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भी शामिल हो गई है। माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने सुझाव दिया है कि अमेरिका और दूसरे देशों को भी ऑस्ट्रेलिया जैसे मीडिया नियम अपनाने चाहिए, ताकि टेक कंपनियों को कंटेंट के मूल प्रकाशकों को भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा सके। स्मिथ ने एक वेबसाइट से इंटरव्यू में कहा- मैं इसे स्वीकार करता हूं कि यह एक अच्छे उद्देश्य के साथ अच्छे कारोबार को समन्वित करने का मौका है।
ऑस्ट्रेलिया सरकार यह नियम लागू करने जा रही है कि अखबार और खबर वेबसाइटों को फेसबुक और गूगल पर पोस्ट करने के कारण विज्ञापन से जो आमदनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को होती है, उसका एक हिस्सा उन्हें मूल कंटेन्ट निर्माता कंपनी को देना होगा। गूगल और फेसबुक इस नियम का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अगर ऑस्ट्रेलिया ने ये नियम लागू किए, तो वे अपनी सेवाओं के एक हिस्से को ऑस्ट्रेलिया से हटा लेंगे। लेकिन स्मिथ ने ऑस्ट्रेलिया सरकार के प्रस्तावित नियम का समर्थन किया। हालांकि संकेत यह है कि माइक्रोसॉफ्ट के इस रुख के पीछे उनकी कंपनी का अपना कारोबारी हित है। माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग को गूगल के मुकाबले उतारा है। वह इसे बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
स्मिथ ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी माइक्रोसॉफ्ट न्यूज के जरिए कंटेन्ट प्रकाशकों के साथ रेवन्यू-शेयरिंग (आमदनी साझा करने) का करार करेगी, जिससे ऑस्ट्रेलिया के प्रकाशकों को अधिक धन मिल पाएगा। लेकिन इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट को वहां के बाजार में पैठ बनानी होगी। स्मिथ ने कहा- जब तक हमारे पास राजस्व का हिस्सा नहीं आता, हम राजस्व को दूसरे के साथ साझा नहीं कर सकते।
ऑस्ट्रेलिया में नए नियमों को अगले दो हफ्तों के अंदर संसद की मंजूरी मिलने की संभावना है। ये नियम लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ऐसा पहला देश बन जाएगा, जहां गूगल और फेसबुक को या तो प्रकाशकों के साथ आय साझा करना होगा, या फिर उन्हें भारी जुर्माना चुकाना होगा। ऑस्ट्रेलिया सरकार की इस पहल के जवाब में फेसबुक ने कहा है कि नए नियम लागू होने पर वह यूजर्स को न्यूज लिंक शेयर करने से रोक सकता है। गूगल ने भी कहा है कि वह ऑस्ट्रेलिया में अपने सर्च इंजन की सेवा बंद कर सकता है।
इस विवाद में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने लिए मौका देखा है। स्मिथ ने वेबसाइट एक्सियोस.कॉम को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया का अनुपालन कर सकता है। उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पारदर्शिता के और अधिक नियम लागू करने चाहिए। साथ ही इसे अनिवार्य बना देना चाहिए कि कंटेन्ट प्रकाशित करने के पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रकाशकों के साथ भुगतान के बारे में समझौता करेँ।
ऑस्ट्रेलिया के प्रस्तावित नियमों में प्रावधान है कि अगर प्रकाशक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आपसी बातचीत से समझौता नहीं कर पाते हैं, तो इस मामले को लेकर वे एक सरकारी समिति के पास जा सकेंगे। इस समिति का गठन खासकर इसी मकसद के लिए होगा। फेसबुक और गूगल को ज्यादा एतराज इसी प्रावधान पर है। उन्हें अंदेशा है कि सरकारी समिति अपने देश के प्रकाशकों की ‘अतार्किक’ मांगों को भी स्वीकार कर लेगी। इसका नुकसान उऩ्हें होगा। लेकिन ब्रैड स्मिथ ने इस प्रावधान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की सौदेबाजी को बेसबॉल आर्बिट्रेशन कहा जाता है, जिससे तर्कपूर्ण वार्ता को प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने कहा कि ये तरीका दुनिया भर में आजमाया हुआ है।
जानकारों के मुताबिक गूगल और फेसबुक ने हाल में ऐसे नियम लागू किए हैं, जिसके तहत समाचार संगठनों को आय का एक हिस्सा दिया जाता है। लेकिन ये हिस्सा तय करते वक्त इस बात का कोई ख्याल नहीं रखा जाता कि संबंधित कंटेन्ट को तैयार करने में कितना खर्च आया। ऑस्ट्रेलिया में नए नियम लागू करवाने के लिए रुपर्ट मर्डोक की कंपनी ने न्यूज कॉर्प ने खास लॉबिंग की है। ऑस्ट्रेलिया के समाचार उद्योग के बहुत बड़े हिस्से पर इसी कंपनी का कब्जा है। इसलिए नए नियमों से सबसे ज्यादा फायदा उसे ही होगा। स्मिथ ने कहा कि उनकी कंपनी ने पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के नए नियमों का समर्थन करने का फैसला किया। उसके बाद कंपनी के कई पदाधिकारियों से न्यूज कॉर्प ने संपर्क किया है।
विश्लेषकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में नए नियम बनवाने के पीछे जिस तरह कॉरपोरेट लॉबिंग हुई है, उसे देखते हुए वहां छिड़ा विवाद टेक कंपनियों पर लगाम लगाने की कोशिश से ज्यादा एक कॉरपोरेट वॉर लगता है। इसलिए इस बहस के और बढ़ने और दुनिया के दूसरे देशों तक फैलने की संभावना है।
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