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तीन साल बाद भी नया मास्टर प्लान लागू नहीं

September 20, 2024

  • हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस, चार सप्ताह में मांगी स्टेटस रिपोर्ट

जबलपुर। जबलपुर में अभी तक नया मास्टर प्लान लागू नहीं किया गया है, जबकि वर्ष 2021 में समाप्त हो चुका है। इस आशय की याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किये।नागरिक उपभोक्ता मंच ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की है कि इस और ध्यान दिया जाए। मामले पर आज हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए ना सिर्फ चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं साथ ही तीन साल से अटके जबलपुर के मास्टर प्लान की स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 2021 में खत्म हुए मास्टर प्लान को नए सिरे से बनाने को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को टेलीकॉम फैक्ट्री की जमीन को ग्रीन बेल्ट में शामिल करने के सुझाव पर भी विचार करने कहा है। अब मामले में चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी। सरकार की तरफ से अतिरिक्त एडवोकेट जनरल ने बताया कि मास्टर प्लान पब्लिश हो चुका है, लोगों से अपत्तियां बुलाई जा रही हैं।


नियम में क्या है प्रावधान
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि नगर तथा ग्राम निवेश की धारा 18-19 में मास्टर प्लान का प्रावधान दिया है। जबलपुर का पुराना मास्टर प्लान 2021 में समाप्त हो चुका है और 2024 के 8 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक राज्य सरकार ने नया मास्टर प्लान लागू नहीं किया। बताया गया कि वर्ष 2014 में 62 ग्राम, जो ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं, उन्हें नगर निगम की सीमा में शामिल किया गया है, ऐसा में समझा जा सकता है कि वो 62 गांव जो नगर निगम में शामिल हुए हैं, उनके लिए कोई भी मास्टर प्लान नहीं है। जिसको लेकर नागरिक उपभोक्ता मंच के पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार मास्टर प्लान को लेकर हीला हवाली कर रही है।

टेलीकॉम फैक्ट्री जमीन पर आग्रह
याचिकाकर्ता ने मास्टर प्लान के साथ-साथ हाईकोर्ट से यह भी मांग की है कि जबलपुर की टेलीकॉम फैक्ट्री जो करीब 70 एकड़ में फैली है। फैक्ट्री के बंद होने के बाद यह जमीन वन सम्पदा से भरपूर है। यहां पर छोटे-छोटे जीव जंतु सहित कई प्रजाति के पक्षी भी हैं। स्थानीय लोगों ने 20 हजार पेड़ों वाले जंगल को बचाने के लिए आंदोलन भी किया। सरकार ने जमीन बेचने की निविदा जारी की तो नागरिक उपभोक्ता मंच ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट को बताया गया कि टेलीकॉम फैक्ट्री की जमीन को मास्टर प्लान के ग्रीन बेल्ट में शामिल
किया जाए।

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