जबलपुर। शीतकाल में सबसे मशहूर सब्जी मटर फल्ली का व्यवसाय शहर में चरम पर रहता है। रोजाना 7 से 8 करोड़ का व्यवसाय होता है। पाटन कटंगी बाईपास पर तैयार की गई नई मंडी का दौरा करने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि रोजाना दोपहर 1 बजे से शाम को 7 बजे तक मटर फल्ली का व्यवसाय तेजी से होता है। रोजाना रेट खुलते हैं। और उसी भाव के हिसाब से व्यापारी ट्रैकों में माल लोड करवा कर बाहरी प्रदेशों में व शहरों में सप्लाई करते हैं।
बताया गया है कि एक बोरी में 60 किलो मटर भरा जाता है जो लगभग 3700 रुपए तक बेचा जाता है। लगभग 20 हजार बोरी में भरकर इन्हें बड़े ट्रकों में लोड किया जाता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पूरे देश में सबसे बड़ी मटर की मंडी जबलपुर में ही है, यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पूरे देश में सबसे बड़ी मटर की मंडी जबलपुर में ही है, क्योंकि यहां की दो मुख्य तहसील पाटन तथा कटंगी में इसकी पैदावार प्रचुर मात्रा में होती है। भेड़ाघाट के आसपास के ग्रामों से भी भारी मात्रा में मटर फल्ली मुख्य मंडी तक आती है और यहां तौल कांटों से नापतौल करने के बाद ट्रकों में लोड किया जाता है।
क्वालिटी के हिसाब से रेट
मटर के एक एजेंट ने बताया कि अगर अच्छी किस्म का मटर बड़े दाने वाला होगा तो उसका रेट अच्छा खासा होता है। अगर मटर कमजोर है तो वह 45 रुपए किलो तक भी बिक जाता है। लेकिन फली के दाने अधिक हो तो वह 65 से 70 के बीच किलो के भाव से बिकेगा। मसलन अच्छी किस्म का मटर ज्यादा भाव में बिकेगा।
रविवार को 45 से 68 रुपए बिका मटर
मंडी में मौजूद एजेंट ने बताया कि रविवार के दिन मटर का भाव 45 रुपए से 68 रुपए के बीच खुला। इससे पूर्व मटर का रेट 65 तक भी जा चुका है, जो बाजार पहुंचते पहुंचते ही 80 रूपये तक हो जाता है। लेकिन आवक ज्यादा होने से सस्ते होने की भी गुंजाइश है।
मुंबई, बेंगलुरु, तमिलनाडु तक जाता है माल
मटर फल्ली के ट्रक जबलपुर से बेंगलुरु, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मुंबई सहित देश के कोने-कोने तक पहुंच जाते हैं जो वहां पहुंचते ही अच्छे खासे रेट में बिकता है। ट्रक चालकों के लिए इनाम का भी प्रावधान रहता है क्योंकि मटर जल्दी खराब होने वाली सब्जियों में से एक है। अगर ट्रक देरी से अपने गंतव्य में पहुंचेगी तो मटर की खराब होने और उसके रेट गिरने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। इसलिए ट्रक ड्राइवर जल्दी से जल्दी मौके पर पहुंचने का प्रयास करते हैं। इसके लिए उन्हें 1500 से लेकर 2000 तक का भी ईनाम मिलता है।
हजारों मजदूरों के जिम्मे पूरा काम
मौके पर देखा गया कि हजारों मजदूर सिर्फ मटर फल्लियों को बोरों में भरने से लेकर ट्रक में चढ़ाने तक का काम करते हैं और बोरियों को बहुत संभाल कर रखते हैं ताकि नीचे का मटर दाब ना सके इसके लिए बड़ी-बड़ी लकड़ी तथा बल्ली का प्रयोग किया जाता है।
समय पर माल पहुंचना बहुत जरूरी
मटर फल्ली के जानकार बताते हैं कि हरा मटर एक नियत समय पर गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास करना पड़ता है वरना रास्ते में ही यह खराब होना शुरू हो जाता है, इसलिए मटर को लोड करना बड़ा मशक्कत भर काम है।
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