– गणेश कुमार
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित व्यापक और गहरे परिप्रेक्ष्य के साथ ही भविष्य के भारत के सरोकारों के संबंध में ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ की प्रासंगिकता अतिमहत्वपूर्ण है। भविष्य के शिक्षित भारत की कल्पना वास्तव में तभी साकार होगी जब भारत के सभी नागरिक सुशिक्षित और सुसाक्षर होंगे । राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के पैरा-21.4 में उल्लिखित व्यवस्था के अन्तर्गत निरक्षरता के पूर्ण उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने ‘नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ पिछले साल एक अप्रैल को लागू किया था। उत्तर प्रदेश इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक रूप से प्रतिबद्ध है। इसके क्रियान्वयन के लिए केंद्र की गाइड लाइंस एवं प्रदेश की भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के दृष्टिगत विषयवस्तु एवं साक्षर करने के भिन्न-भिन्न कौशलों की रूपरेखा का प्रयोग किया जा रहा है।
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अन्तर्गत 15 वयवर्ग के असाक्षरों को ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड से प्रशिक्षित स्वयंसेवकों द्वारा पढ़ना-लिखना एवं अंक ज्ञान सिखाया जा रहा है। इस योजनान्तर्गत असाक्षरों को जीवन के महत्वपूर्ण जीवन कौशल, जैसे वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, आपदा प्रबंधन, वाणिज्यिक कौशल ,बाल देखभाल और शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के मुद्दों पर आहार संबंधी आदतों, व्यायाम, योग, तंबाकू के उपयोग की समाप्ति, प्राथमिक चिकित्सा देखभाल और सड़क यातायात दुर्घटना के प्रबंधन, स्थानीय रोजगार प्राप्त करने की दृष्टि से व्यावसायिक कौशल विकास की सीख प्रदान की जा रही है।
भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश के समस्त जनपदों में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम को लागू करने के निर्देश दिए थे। इसके अन्तर्गत भारत सरकार ने प्रदेश को 17.00 लाख असाक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य निर्धारित किया था।
योजनान्तर्गत ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड से कक्षाएं स्वयंसेवी शिक्षकों के माध्यम से संचालित की जा रही हैं। राज्य स्तर पर एससीईआरटी, लखनऊ कार्यालय में स्थापित किए गए राज्य साक्षरता केन्द्र द्वारा अकादमिक एवं तकनीकी सहयोग समस्त जनपदों को प्रदान किया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन के लिए जनपद में विद्यालय एक इकाई है। जनपद स्तर पर उक्त योजना का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण प्रदेश के राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा गठित जिला शिक्षा परियोजना समिति से ही जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण के कार्य कराए जा रहे हैं। जनपद में उक्त प्राधिकरण का सदस्य सचिव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को बनाया गया है। योजनान्तर्गत प्रदेश के समस्त जनपदों में एनआईएलपी सर्वे ऐप द्वारा सर्वेयर के माध्यम से 15 वयवर्ग के असाक्षरों को चिह्नित किया जा रहा है ।
प्रदेश के समस्त जनपदों में 19 मार्च को साक्षरता परीक्षा में कुल 1,46055 असाक्षरों ने प्रतिभाग किया। इस परीक्षा में शामिल प्रतिभागियों के सापेक्ष सफल नवसाक्षरों का एनआईओएस के माध्यम से प्रमाणीकरण का कार्य कराया जा रहा है। गत वित्तीय वर्ष में जिन चिह्नित असाक्षरों को साक्षर किया गया है, उनके जीवन में जो व्यावहारिक परिवर्तन परिलक्षित होने लगा है।
वित्तीय साक्षरता की दृष्टि से उनके अन्दर वाक्यों एवं अंकों का इतना ज्ञान हो गया है कि वे बैंक, पोस्ट ऑफिस एवं तहसील आदि से संबंधित कार्य अब बिना किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता से करने लगे हैं। भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के प्रति सजग हुए हैं। इनके लाभ के लिए अब किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा ऐसे लोगों में निजी जीवन एवं पारिवारिक जीवन में स्वच्छता से रहने का गुण विकसित हुआ है। वे अच्छे मनुष्य होने के साथ ही अच्छे नागरिक भी बन रहे हैं। छोटे-छोटे शब्दों से सरल वाक्यों का निर्माण एवं अंकों के ज्ञान की समझ विकसित हुई है।
(लेखक, उत्तर प्रदेश राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सचिव हैं।)
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