देश में जब से कोविड टीकाकरण अभियान शुरू हुआ है, जयपुर के कांवटिया अस्पताल में नर्स भवानी शर्मा दोहरी भूमिका में हैं। एक तरफ तो वह नर्सिंग की अपनी जिम्मेदारियां निभाती हैं, दूसरी तरफ अपने ही साथियों को कोवैक्सीन लेने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने शनिवार को कोवैक्सीन की पहली डोज ली थी मगर और साथी इसे लेने से हिचक रहे हैं। शर्मा पूरे अस्पताल में साथियों को बताती फिर रही हैं, ‘मुझे कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं।’ टीकाकरण अभियान को शुरू हुए 5 दिन पूरे हो चुके हैं मगर हेल्थकेयर वर्कर्स में झिझक है कि कोवैक्सीन लें या नहीं। कुछ तो अजीबोगरीब बहाने बना रहे हैं। उनकी इस झिझक को दूर करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मैदान में उतर रहे हैं। वह वाराणसी के हेल्थकेयर वर्कर्स से दोपहर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। आइए जानते हैं कोवैक्सीन से बचने के लिए लोग कैसे-कैसे बहाने बना रहे हैं।
Covaxin न लेने के लिए ऐसे-ऐसे बहाने!
बेंगलुरु नगर महानगर पालिका के एक हेल्थ ऑफिसर के मुताबिक, उन्हें कम से कम 20 ऐसे हेल्थ वर्कर्स मिले जिन्होंने टीका लगवाने का नाटक किया। एक सूत्र के मुताबिक, “एक मेडिकल ऑफिसर ने तो नर्स से कहा कि वह उसकी बांह पर रुई का गोला रखकर पकड़े रहे ताकि सबको लगे कि उसने टीका लगवा लिया है।”
दिल्ली में आधे से ज्यादा लोगों का अभी टीके पर यकीन जमा नहीं
एक सर्वे में राजधानी के 53 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि उन्हें कोरोना की वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट है। जबकि राजधानी के 44 प्रतिशत लोगों के अनुसार वैक्सीनेशन कार्यक्रम में उनकी बारी आते ही वह वैक्सीनेशन लेंगे। लोकल सर्कल्स के ऑनलाइन सर्वे में यह दावा किया गया। लोकल सर्कल अक्टूबर-2020 से ही कोविड वैक्सीन को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं ले रहा है। इस सर्वे में राजधानी के 7762 लोगों ने हिस्सा लिया। अब कोविड-19 की वैक्सीनें उपलब्ध होने के बाद राजधानी के 53 प्रतिशत लोगों ने इस वैक्सीन को तुरंत लगवाने में हिचकिचाहट जताई।
वहीं, 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह वैक्सीन लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वहीं 3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह वैक्सीन को उसी समय ले लेंगे, जब यह प्राइवेट अस्पतालों में उनके लिए उपलब्ध हो जाएगी। वहीं 53 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अभी इंतजार करेंगे और फिर फैसला करेंगे। इनमें से 17 प्रतिशत लोगों ने 3 से 6 महीने, 17 प्रतिशत ने शून्य से 3 महीने और 12 प्रतिशत लोगों ने 6 से 12 महीने तक इंतजार की बात कही। वहीं, 3 प्रतिशत लोगों ने वैक्सीनेशन के लिए एक साल इंतजार की बात कही।
डर है इस झिझक की बड़ी वजह
मुंबई के जेजे हॉस्टिपल में Covaxin के नोडल ऑफिसर डॉ. ललित सांखे ने कहा, “कुछ झिझक है। हमने ऐसा भी देखा है कि लोगों ने साफ-साफ मना कर दिया। हालांकि Co-Win ऐप में गड़बड़ी भी एक वजह है। हम लोगों को वक्त पर बता नहीं पाए।” एम्स पटना में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर विनय कुमार ने कहा, “कई डॉक्टर्स और पीजी स्टूडेंट्स कोवैक्सीन लेने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वैक्सीन का तीसरा ट्रायल अभी शुरुआती स्टेज में है। फाइनल ट्रायल के बाद, कम से कम कोविशील्ड का एफेकसी 70% के आसपास तो है।” पुणे जिला अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि हेल्थ वर्कर्स में एक भावना यह भी है कि उन्हें ‘गिनी पिग’ की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
सर्व में पता चला हेल्थ वर्कर्स का मूड
भारत के उन छह शहरों में जहां कोवैक्सीन उपलब्ध कराई गई है, हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने सर्वे किया। किसी एक में भी कोवैक्सीन लगवाने वालों का प्रतिशत 50% से ज्यादा नहीं मिला। मंगलवार शाम तक, पटना और जयपुर में सबसे ज्याद 49% वर्कर्स कोवैक्सीन ले चुके थे। कोविशील्ड लेने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है।
खुद पीएम मोदी करेंगे हेल्थ वर्कर्स को जागरूक?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वाराणसी के वैक्सीन पाने वाले और वैक्सीन लगाने वालों से बातचीत करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बातचीत में पीएम ‘वैक्सीन को लेकर झिझक’ पर भी बात कर सकते हैं। इस बातचीत में प्रधानमंत्री हेल्थ वर्कर्स के अनुभवों को जानेंगे और फीडबैक भी लेंगे। दूसरी तरफ, स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी एक जागरूकता अभियान तैयार किया है जिसके जरिए टीकों के सुरक्षित और असरदार होने को लेकर जागरूक किया जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved