इंदौर। प्रदेश के सभी कॉलेजों में प्रथम वर्ष में रामचरित मानस (Ramcharit Manas in the first year in colleges) पढ़ाई गई। अब सेकंड ईयर में श्रीमद् भगवद्गीता (Shrimad Bhagavad Gita in Second Year) पढ़ाई जाएगी। इसके अलावा देवी अहिल्याबाई होलकर और विक्रमादित्य (Ahilyabai Holkar and Vikramaditya) के साथ ही अन्य भारतीय इतिहास के स्वर्णिम लोगों को पढ़ाया जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी इन लोगों के व्यक्तित्व से प्रेरित होकर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके।
यह संबोधन उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने बुधवार को देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संभाग स्तरीय कार्यशाला में व्यक्त किए। इस दौरान सांसद शंकर लालवानी, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा इंदौर विभाग डॉ. सुरेश सिलावट, कुलपति डॉ. रेणु जैन आदि उपस्थित थे। शिक्षा मंत्री यादव ने कहा कि कोविड के बावजूद हमने बीते साल नई शिक्षा नीति में रामचरित मानस को सिलेबस में शामिल किया। इस बार सेकंड ईयर में प्रवेश कर रहे हैं। इसमें भगवद्गीता को भी शामिल किया जा रहा है।
देवी अहिल्याबाई को भी जोड़ेंगे
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति में हमारे गौरवशाली अतीत को शामिल किया जाएगा। सनातन संस्कृति के साथ ही सिलेबस में देवी अहिल्याबाई होलकर, विक्रमादित्य, राजा भोज जैसे अनेक नायकों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि इनके कार्यों और प्रयासों को देश की भावी पीढ़ी जान सके। नई शिक्षा नीति में गुणवत्ता के साथ ही अतीत के गौरवशाली इतिहास को भी जोड़ा जा रहा है।
नहीं रहेगा 33 प्रतिशत का जमाना
मंत्री यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति में बदलाव से विद्यार्थियों को शिक्षित करने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। अब 33 प्रतिशत का जमाना नहीं रहेगा और 40 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाना होंगे। नई शिक्षा नीति में भीड़ बढ़ाने वाली शिक्षा नहीं होगी, बल्कि रोजगार देने वाली शिक्षा दी जाएगी। नई शिक्षा नीति में छात्र पढ़ाई करने के साथ ही रिसर्च भी कर सकेंगे। धीरे-धीरे हम बदलाव करते जा रहे हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved