नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी देकर करीब 34 साल बाद शिक्षा नीति में परिवर्तन को महत्वपूर्ण बताया है. हालांकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस परिवर्तन पर सवाल उठाए हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूछा है कि इस नई शिक्षा नीति में सम्पूर्ण राजनीति विज्ञान के लिए स्थान है कि नहीं.
जयराम रमेश ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, “एक बात मेरे लिए स्पष्ट नहीं है कि नई शिक्षा नीति में क्या संपूर्ण राजनीति विज्ञान अब भी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा है या नहीं?’ उन्होंने पूछा कि बदलाव में पुरानी बेहतर व्यवस्थाओं को नहीं बिगड़ना चाहिए. राजनीति विज्ञान इसी पुरानी बेहतर व्यवस्था का उदाहरण है.दरअसल नई शिक्षा नीति में स्कूल से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं.
नये बदलाव के मुताबिक 5वीं कक्षा तक की शिक्षा अब मातृभाषा में होगी. हायर एजुकेशन के लिए (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर) सिंगल रेगुलेटर रहेगा. वहीं उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 प्रतिशत गीईआर पहुंचाने का लक्ष्य है. साथ ही चार साल के डिग्री प्रोग्राम, फिर एमए और उसके बाद बिना एम फिल के सीधे पीएचडी कर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिली थी. इस पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकार वार्ता में बताया कि यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन अनुपात का लक्ष्य और एक से ज्यादा प्रवेश/एग्जिट का प्रावधान शामिल है. ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. साथ ही वर्चुअल लैब विकसित करने के साथ एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) बनाया जा रहा है. (एजेंसी, हि.स.)
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