नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस (driving license) पाने के लिए नियमों में रोड ट्रांसपोर्ट एवं हाईवे मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने कई बड़े बदलाव किए हैं। ये बदलाव 1 जून से प्रभावी हो जाएंगे। नए नियमों को लाने का उद्देश्य लाइसेंसिंग प्रक्रिया को तेज करने (speed up the licensing process) और रोड सेफ्टी को बेहतर करना है। इन नए नियमों क्या-क्या प्रावधान हैं और आम आदमी के लिए व्यवस्था में क्या परिवर्तन आएगा; जानिए इस रिपोर्ट में।
नए नियमों के तहत 1 जून से ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए टेस्ट अब सरकारी आरटीओ की जगह निजी सेंटर्स पर होंगे। इन निजी संस्थानों को टेस्ट कराने और लाइसेंस एलिजिबिलिटी के लिए सर्टिफिकेट जारी करने की मान्यता दी जाएगी। सड़क मंत्रालय का मानना है कि इस कदम से लाइसेंस पाने की प्रक्रिया आसान होगी और सरकारी आरटीओ पर इंतजार का समय होगा।
प्रदूषण कम करने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय लगभग 9 लाख सरकारी गाड़ियों को रिटायर करने और कार एमिशन नियमों को और सख्त करनेकी तैयारी भी की है। बता दें कि ये मानक एक विस्तृत स्ट्रैटेजी का हिस्सा हैं जिसे एयर क्वालिटी को बेहतर करने और देश की सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों की ओर से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए तैयार किया गया है।
निर्धारित रफ्तार से अधिक गति में वाहन चलाने पर जुर्माना 1000 से 2000 रुपये के बीच होगा। एक नया नियम लाया गया है कि अगर किसी नाबालिग को ड्राइविंग करते पाया गया तो 25,0000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। गाड़ी के मालिक के रजिस्ट्रेशन कार्ड को कैंसिल कर दिया जाएगा और नाबालिग को तब तक डीएल जारी नहीं होगा जब तक उसकी उम्र 25 साल नहीं हो जाती।
इसके साथ ही मंत्रालय ने नया लाइसेंस पाने के लिए डॉक्यूमेंट्स को भी आसान कर दिया है। ड्राइविंग लाइसेंस सर्टिफिकेट देने की मान्यता पाने के लिए निजी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स के पास दोपहिया वाहनों के लिए कम से कम 1 एकड़ और चारपहिया वाहनों के लिए 2 एकड़ जमीन होनी जरूरी होगी। बता दें कि ऐसे संस्थानों के पास अच्छी टेस्टिंग फैसिलिटी उपलब्ध कराना अनिवार्य रहेगा।
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