- खराब हो चुकी बसों को सुधारने की शुरु नहीं हो पाई प्रक्रिया-दो साल से बंद है बसें
उज्जैन। करीब 12 साल पहले नगर निगम ने शहर में सिटी बस सेवा को शुरु किया था। पिछले दो साल से शहर के लोग इस सेवा से पूरी तरह वंचित हो गए हैं। उम्मीद जताई जा रही थी कि इस साल के अंत तक नए ठेके के बाद कुछ बसें सड़कों पर चलने लगेंगी परंतु नए वर्ष में भी इनका सड़कों पर दौड़ पाना आसान नजर नहीं आ रहा। शहर की आंतरिक सीमाओं में लोगों को आने-जाने की सुविधा देने के लिए जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत वर्ष 2009 में उज्जैन में नगर निगम ने सिटी बस सेवा शुरु की थी। शुरुआत के कुछ महीने नगर निगम ने पहले चरण में खरीदी गई 39 सीएनजी सिटी बसों को स्वयं चलाया था। उसके बाद संचालन ठेके पर दे दिया था। बाद में 50 डीजल बसें भी इसी के लिए खरीदी गई थी। बीते 12 सालों में गिनती के ठेकेदार नगर निगम को मिले, इन ठेकेदारों ने सभी 89 बसों को खूब चलाया और आर्थिक लाभ कमाया। बसों का संधारण किसी ने नहीं कराया और उन्हें भंगार कर छोड़ दिया था।
कोरोना काल शुरु होने से पहले तक शहर की सड़कों पर मात्र 8 सिटी बसें चालू हालत में रह गई थी। लॉकडाउन लगने से लेकर अब तक यह बसें भी तभी से बंद पड़ी हुई है। इस दौरान इन्हें फिर से शुरु करने के लिए पिछले साल सितम्बर 2020 तक नगर निगम ने तीन बार टेंडर जारी किए थे लेकिन कोई नया ठेकेदार बसें चलाने के लिए राजी नहीं हुआ। इसके बाद एक सिंगल टेंडर आया था। ऐसे में चौथी बार मजबूरी में नगर निगम अपनी बस को मात्र 55 रुपए रोज के किराए पर पुराने ठेकेदार को देने को राजी हो गया था। एक बस के एवज में नगर निगम को ठेकेदार द्वारा 1651 रुपए महीना देगा। इसे भी नगर निगम मंजूर किया गया था। उसी दौराना सितम्बर 2020 में महीने की शुरुआत में भाजपा बोर्ड का कार्यकाल भी पूरा हो गया था। ऐसे में बतौर नगर निगम प्रशासक आनंद शर्मा संभागायुक्त ने कार्यभार संभाला था और उन्होंने इस सस्ते ठेके को सिरे से खारिज कर दिया था और अधिकारियों से नए ठेके की प्रक्रिया के लिए कहा था। प्रयास किए गए थे कि नगर निगम की कुल 50 बसों में से 30 डीजल बसें ठेकेदार उपनगरीय सेवा के लिए चलाने और 20 बसों को शहर के आंतरिक हिस्सों में संचालित करने की योजना थी लेकिन प्रशासक द्वारा सस्ते ठेका नामंजूर किए जाने के बाद से सिटी बसें पिछले साल करीब-करीब बंद रही, वहीं कुछ महीने पहले फिर से बसों का ठेका दिया गया लेकिन भंगार हो चुकी बसें सड़कों पर चलने लायक नहीं रही हैं। बसों के सुधार के लिए नगर निगम को 50 लाख का इंतजाम करना था लेकिन कोरोना काल में आर्थिक तंगी के कारण इनमें से कुछ बसें तक नगर निगम सुधरा नहीं पा रहा। ऐसे में उम्मीद कम है कि नए साल के जनवरी माह में भी शहर के लोगों को सड़कों पर सिटी बस सेवा मिल पाएगी।