नई दिल्ली । ढाका और इस्लामाबाद (Dhaka and Islamabad) के बीच रिश्तों की एक नई शुरुआत देखने को मिल रही है। बांग्लादेश (Bangladesh) के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस (mohammed yunus) के नेतृत्व वाली सरकार ने 1971 की कटुता को भुलाकर पाकिस्तान (Pakistan) के साथ नए संबंध बनाने की इच्छा जताई है। वहीं पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशक डार ने गुरुवार को बयान में कहा कि बांग्लादेश हमारा खोया हुआ भाई है। पाकिस्तान हर संभव तरीके से उनकी मदद करेगा। ऐसे में क्या दोनों पड़ोसियों का करीब आना भारत के लिए चिंता का सबब साबित होगा?
कुछ दिनों पहले मोहम्मद यूनुस ने मिस्र में डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से मुलाकात की। इस बैठक में यूनुस ने 1971 के दौर की कटुता को भुलाने की अपील की और बेहतर रिश्ते बनाने की इच्छा जताई। इसके जवाब में शाहबाज शरीफ ने कहा कि “पाकिस्तान अपने भाई बांग्लादेश के साथ मजबूत संबंध बनाने को लेकर आशावादी है।” शाहबाज ने यूनुस को पाकिस्तान आने का आमंत्रण भी दिया।
1971 के बाद पहली बार समुद्री संपर्क
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद ढाका-इस्लामाबाद संबंधों में तेजी आई है। 1971 के युद्ध के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच सीधे समुद्री संपर्क स्थापित हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान के कराची से एक मालवाहक जहाज चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा। इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ कार्गो निरीक्षण संबंधी प्रतिबंध भी हटा दिए गए हैं।
1971 के बाद पहली बार समुद्री संपर्क
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद ढाका-इस्लामाबाद संबंधों में तेजी आई है। 1971 के युद्ध के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच सीधे समुद्री संपर्क स्थापित हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान के कराची से एक मालवाहक जहाज चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा। इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ कार्गो निरीक्षण संबंधी प्रतिबंध भी हटा दिए गए हैं।
हालांकि, यूनुस सरकार के इन कदमों को लेकर बांग्लादेश के भीतर और बाहर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि देश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों और बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश खतरनाक खेल साबित हो सकता है।
क्या पाकिस्तान दे रहा है उकसावा?
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश के मौजूदा हालात का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। कुछ का तो यह भी कहना है कि यूनुस प्रशासन का यह कदम बांग्लादेश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए चुनौती बन सकता है। यूनुस प्रशासन के इन फैसलों के नतीजे क्या होंगे, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन फिलहाल, दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए चिंता का सबब हो सकती हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved