उज्जैन । उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव (Higher Education Minister Dr. Mohan Yadav) शनिवार 28 अगस्त को अपराह्न में विक्रम विश्वविद्यालय (Vikram University) के शलाका दीर्घा में मीडिया से रूबरू हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नवीन शैक्षणिक सत्र विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में भौतिक रूप से 15 सितम्बर से 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ कक्षाओं का संचालन प्रारम्भ किया जायेगा। संस्थानों द्वारा ऑफलाइन एवं ऑनलाइन कक्षाओं के लिये अलग-अलग समय-सारण का निर्माण किया जायेगा। विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में छात्रावास भी प्रारम्भ किये जायेंगे। छात्र-छात्राओं की आवासीय व्यवस्था संस्था प्रमुख द्वारा कोविड-19 के निर्देशों के परिपालन में सुनिश्चित की जायेगी। छात्रावास अधीक्षक द्वारा छात्रावासों में भोजन व्यवस्था के लिये कोविड-19 के परिपालन में स्वच्छता एवं शारीरिक दूरी का पालन भी सुनिश्चित किया जायेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने जानकारी दी कि शैक्षणिक संस्थाओं में विद्यार्थियों के अध्ययन के लिये ग्रंथालय भी आरम्भ होंगे। विद्यार्थियों तथा विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के समस्त शैक्षणिक स्टाफ के लिये वेक्सीनेशन करवाना अनिवार्य होगा। विश्वविद्यालय स्तर पर कुलसचिव तथा महाविद्यालय स्तर पर सम्बन्धित क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक द्वारा निरन्तर मॉनीटरिंग की जायेगी और इसका प्रतिवेदन प्रत्येक सोमवार को आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग को प्रेषित किया जायेगा। विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में कोविड-19 के सन्दर्भ में केन्द्र शासन, राज्य शासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने हेतु भी सम्बन्धितों को कहा गया है।
इस दौरान कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, कुलसचिव प्रो.प्रशांत पौराणिक सहित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। अन्त में आभार कुलपति प्रो.पाण्डेय ने माना।
परंपरागत विश्वविद्यालयों में खुले कृषि संकाय
प्रदेश की उच्च शिक्षा में एक और नया आयाम जुड़ा
विक्रम विश्वविद्यालय में प्रारम्भ हुए 130 से अधिक नवीन पाठ्यक्रम
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के साथ एक नई शुरुआत हो रही है। प्रदेश में अब परंपरागत विश्वविद्यालयों में कृषि, हॉर्टिकल्चर जैसे संकाय प्रारंभ होने से उच्च शिक्षा में एक नया आयाम जुड़ गया है। इन विश्वविद्यालयों में कृषि-हॉर्टिकल्चर, फॉरेस्ट्री जैसे मूलभूत पाठ्यक्रमों को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा। इससे अंतर्विषयक ज्ञान को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थी भी इस ओर आकर्षित होंगे।
डॉ.यादव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि लंबे प्रयासों के बाद परंपरागत विश्वविद्यालयों में कृषि संकाय प्रारंभ किए जा रहे हैं। अभी तक राज्य शासन के स्तर पर प्रारंभ किए गए कृषि महाविद्यालय और कृषि विश्वविद्यालय में ही कृषि, हॉर्टिकल्चर से संबंधित पढ़ाई होती आई है। यह निर्णय निश्चित रूप से मध्यप्रदेश जैसे कृषि आधारित व्यवस्था वाले राज्य में उच्च शिक्षा को ग्रासरूट से जोड़ेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय इस वर्ष से कृषि संकाय अंतर्गत बीएससी (ऑनर्स) एग्रीकल्चर, बीएससी (ऑनर्स) हॉर्टिकल्चर, बीएससी (ऑनर्स) फॉरेस्ट्री, एमएससी एग्रीकल्चर, एमएससी हॉर्टिकल्चर और एमएससी फॉरेस्ट्री के पाठ्यक्रम प्रारंभ कर रहा है। इससे संबंधित अध्यादेश परिनियम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में समन्वय समिति ने पारित किए हैं। इन प्रावधानों को सभी परंपरागत विश्वविद्यालयों में समान रूप से लागू किया जा रहा है। डॉ.यादव ने बताया कि अब पारंपरिक विश्वविद्यालय अपने यहाँ कृषि, हॉर्टिकल्चर से संबंधित पाठ्यक्रम प्रारंभ कर सकते हैं। विक्रम विश्वविद्यालय में कृषि से संबंधित महŸवपूर्ण पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में 130 से
अधिक नवीन पाठ्यक्रमों सहित कुल 180 से अधिक पाठ्यक्रम हुए
विश्वविद्यालय में 180 से अधिक यूजी, पीजी, डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों में रिक्त सीटों पर विद्यार्थी 14 सितंबर तक एमपी ऑनलाइन के माध्यम से प्रवेश ले सकते हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आए अब तक दो हजार से अधिक आवेदन-पत्र प्राप्त हो चुके हैं। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में नवीन शिक्षा सत्र 2021-22 में 130 से अधिक नवीन पाठ्यक्रम सहित 180 से अधिक पाठ्यक्रम हो गए हैं। विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं एवं संस्थानों में संचालित स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा एवं प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों में मेरिट के आधार पर प्रवेश की प्रक्रिया निरन्तर है। इस वर्ष विश्वविद्यालय में रोजगारपरक एवं कौशल संवर्धन से जुड़े 130 से अधिक पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। विद्यार्थीगण यहाँ संचालित कुल 180 से अधिक पाठ्यक्रमों में से अपनी रुचि एवं अध्ययन क्षेत्र के अनुसार किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। इच्छुक विद्यार्थी विश्वविद्यालय की वेबसाइट से जानकारी प्राप्त करने के साथ संबंधित अध्ययनशाला एवं संस्थान में संपर्क कर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्रवेश हेतु एमपी ऑनलाइन के माध्यम से 14 सितंबर 2021 तक आवेदन किए जा सकते हैं। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अब तक दो हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। ये पाठ्यक्रम इंजीनियरिंग, शारीरिक शिक्षा, कृषि, कला, समाज विज्ञान, विधि, वाणिज्य, विज्ञान, जीव विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, व्यवसाय प्रबंधन, नॉन फॉर्मल एजुकेशन, फॉरेंसिक साइंस, फूड टेक्नोलॉजी आदि संकायों एवं विषय क्षेत्रों से जुड़े हैं।
विश्वविद्यालय के संस्थानों में एमबीए, एमसीए एवं बीटेक – सिविल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश डीटीई, भोपाल के माध्यम से होगा। इस वर्ष स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एसओईटी) में प्रारंभ किए गए चार एम टेक पाठ्यक्रमों स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, थर्मल इंजीनियरिंग, पावर सिस्टम ऑटोमेशन एवं डिजिटल कम्युनिकेशन में मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जा रहा है।
विक्रम विश्वविद्यालय की अध्ययनशालाओं एवं संस्थानों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों में विश्वस्तरीय मानकों के अनुरूप सीबीसीएस (च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) हाल के वर्षों में लागू किया गया है। सीबीसीएस पद्धति में विद्यार्थियों को अपने विषय क्षेत्र के अध्ययन के साथ ही अपनी रुचि और व्यावसायिक दक्षता अर्जित करने की दृष्टि से अन्य विषयों के चयन का विकल्प प्राप्त हो रहा है।
सीबीसीएस पद्धति में मुख्य विषय के साथ स्किल बेस्ड एवं वोकेशनल कोर्स भी समाहित किए गए गए हैं। यूजीसी के नवीन मानदंडों के अनुरूप प्रत्येक कोर्स के पाठ्यक्रम को अलग-अलग क्रेडिट्स में तैयार किया गया है। सीबीसीएस के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न सेमेस्टरों में अपनी रुचि के अनुरूप प्रश्नपत्र पढ़ने की छूट मिल रही है। पाठ्यक्रम में नई विषय सामग्री भी शामिल की गई हैं, जिससे विद्यार्थीगण परम्परागत पाठ्यक्रमों में हाल के वर्षों में वैश्विक स्तर पर हुए बदलावों से भी जुड़ रहे हैं। इस पद्धति में विद्यार्थियों के सतत परीक्षण, विकल्प आधारित पाठ्यक्रम, कॉमन ग्रेडिंग सिस्टम, व्यावसायिक क्षमता एवं कौशल आधारित पाठ्यक्रम जैसी अनेक विशेषताएँ हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक 24 से 26 अगस्त 2021 तक कॅरियर काउंसलिंग एवं प्रवेश उत्सव का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर, देवास रोड स्थित वाग्देवी भवन में प्रतिदिन प्रातः 11 से संध्या 4 : 30 बजे तक किया गया। इस विशिष्ट कार्यक्रम के माध्यम से साढ़े छह सौ से अधिक युवा लाभान्वित हुए। इस शिविर के दौरान कला, समाज विज्ञान, कृषि, इंजीनियरिंग, व्यवसाय प्रबंधन, विज्ञान, जीव विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, वाणिज्य, शारीरिक शिक्षा, नॉन फॉर्मल एजुकेशन, फोरेंसिक साइंस, फ़ूड टेक्नोलॉजी, विधि आदि संकाय और विषय क्षेत्रों से जुड़े पचहत्तर से अधिक विशेषज्ञ परामर्शदाताओं ने युवा वर्ग को उनके कॅरियर एवं विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के संबंध में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया। नए सत्र में विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास, कैरियर गाइडेंस और प्लेसमेंट के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। विभिन्न पाठ्यक्रमों से संबन्धित विस्तृत विवरण विक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट vikramuniv.ac.in से प्राप्त किया जा सकता है।
117 शासकीय महाविद्यालयों में 459 डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम स्वीकृत
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रदेश के 117 शासकीय महाविद्यालयों में 459 डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम स्वीकृत किए गए हैं। विद्यार्थियों को रोजगार मूलक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से अलग-अलग विषयों में अतिरिक्त सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में सत्र 2021-22 से स्नातकोत्तर के 50, स्नातक के 23, पीजी डिप्लोमा के 30, डिप्लोमा के 34 और सर्टिफिकेट के 44, नवीन पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। नवीन सत्र में 130 से अधिक पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं एवं संस्थानों में नवीन पाठ्यक्रम
विक्रम विश्वविद्यालय के नवीन सत्र 2021-22 में स्नातकोत्तर के 19, स्नातक के 13, पीजी डिप्लोमा के 30, डिप्लोमा के 23 एवं सर्टिफिकेट के 43 कुल 130 से अधिक नवीन पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गए हैं, जिसमें प्रमुखतः निम्नानुसार हैं –
इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना दिनांक 01 अप्रैल 2021 को की जा चुकी है। नवोन्मेष विचार / स्टार्टअप को प्रारम्भ करने के लिये प्रयास प्रारम्भ हो चुके है एवं इस केन्द्र के माध्यम से अभी तक 5 पेटेंट का प्रकाशन हो चुका है। इस केन्द्र के माध्यम से 9 स्टार्टअप भी प्रारम्भ किये जा चुके हैं।
उच्च शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू
स्नातक प्रथम वर्ष में नीति के अनुसार पाठ्यक्रम परिवर्तित किए गए
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है। अभी स्नातक प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम और अकादमिक संरचना नीति के अनुसार परिवर्तित की गई हैं। विद्यार्थी अपने संकाय के अलावा अन्य संकाय के विषय का भी अध्ययन कर सकेंगे। एक साल पढ़ने पर सर्टिफिकेट, दो साल की पढाई पर डिप्लोमा और तीन साल पढ़ने पर स्नातक की डिग्री मिलेगी तथा चार साल पढ़ने पर शोध के साथ स्नातक की डिग्री प्राप्त होगी। ऐसे विद्यार्थी जो किसी कारण से अपनी पढाई जारी नहीं रख पाते हैं वह भी सुविधानुसार पुनः पढाई कर सकेंगे अर्थात इस नीति में विद्यार्थियों को मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट की सुविधा प्रदान की जा रही है।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव ने बताया कि देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम और अकादमी संरचना लागू कर रहा है। विभाग ने इस नीति को लागू करने के पूर्व व्यापक तैयारी की। कुलपति और शिक्षाविदों की टास्क फोर्स गठित कर शिक्षा नीति की भावना के अनुसार अकादमिक स्वरूप तय किया गया। करोना कॉल में विभिन्न संकाय के विषय विशेषज्ञों ने साढ़े तीन सौ से अधिक ऑनलाइन बैठक कर 79 पाठ्यक्रम तैयार किए। यह उच्च शिक्षा विभाग की उपलब्धि है। पहली बार विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत वृहद स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इन परिवर्तनों के बाद प्रदेश में उच्च शिक्षा, चाहे वह किसी भी संकाय की हो, अधिक जॉब ओरिएंटेड हो सकेगी। युवाओं को यह उच्च शिक्षा विभाग की उपलब्धि है। पहली बार विभाग में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत वृहद स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इन परिवर्तनों के बाद प्रदेश में उच्च शिक्षा, चाहे वह किसी भी संकाय की हो, अधिक जॉब ओरिएंटेड हो सकेगी। युवाओं को पहले की अपेक्षा अधिक अवसर उपलब्ध होंगे और उनका कौशल विकास भी होगा। महाविद्यालय, विश्वविद्यालय स्थानीय उद्योगों की आवश्यकता अनुसार सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारंभ कर रहे हैं। अभी तक 117 शासकीय महाविद्यालयों में जॉब प्रदान करने वाले 459 पाठ्यक्रम स्वीकृत किए गए हैं।
प्रदेश के शासकीय और निजी विश्वविद्यालय भी अपने स्तर पर कई सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारंभ कर रहे हैं। इसके अलावा शासकीय विश्वविद्यालयों में अलग-अलग विषयों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम भी शुरू किए जा रहे हैं। अभी तक अधिकांश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम ही संचालित करते आए हैं। उन्होंने बताया कि नीति के क्रियान्वयन का यह प्रथम चरण था। दूसरे चरण में स्नातक द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे और चतुर्थ वर्ष में रिसर्च के साथ स्नातक डिग्री दी जाएगी। इसके बाद पीजी पाठ्यक्रम एक वर्ष का ही होगा। स्नातक पाठ्यक्रम में प्रोजेक्ट, रिसर्च, इंटर्नशिप, फील्ड स्टडी को अनिवार्य किया गया है। डॉ यादव ने बताया कि लगभग सभी पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित पाठ्य सामग्री को जोड़ा गया है। इसके साथ ही परीक्षा पद्धति में भी परिवर्तन किया गया है। परीक्षा के दो स्तर होंगे जिसमें 25 अंक आंतरिक मूल्यांकन और मुख्य लिखित परीक्षा 75 अंकों की होगी। लिखित परीक्षा की अवधि 2 घंटे होगी। परिवर्तन किया गया है।
परीक्षा के दो स्तर होंगे जिसमें 25 अंक आंतरिक मूल्यांक और मुख्य लिखित परीक्षा 75 अंकों की होगी। लिखित परीक्षा की अवधि 2 घंटे होगी। उन्होंने बताया कि आधार पाठ्यक्रम की परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी। विभाग ने स्नातक स्तर पर सभी पाठ्यक्रमों के लिए चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को लागू किया है। जिसमें विद्यार्थियों को अलग-अलग पाठ्यक्रमों के माध्यम से क्रेडिट प्राप्त करना होंगे और वह उनके क्रेडिट स्कोर में दर्शाए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत विद्यार्थी ’स्वयं’ ऑनलाइन पोर्टल या एनपीटीईएल पोर्टल से ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी चुन सकते हैं और इन्हें पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़े हुए पाठ्यक्रम क्रेडिट स्कोर में दर्शाए जाएंगे। यह पाठ्यक्रम उनके कौशल को बढ़ाने में मदद करेंगे। आधार पाठ्यक्रम में भाषा के साथ पर्यावरण, डिजिटल जागरूकता, योग, ध्यान, व्यक्तित्व, विकास चरित्र निर्माण जैसे विषय भी जोड़े गए हैं।
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