विदिशा। भाई का भाई से, पति का पत्नी से पत्नी का पति से या कभी भी किसी भी नजदीकी रिस्तेदारो से विवाद हो जाऐ तो कभी भी बकील के पास मत जाना ज्यादा हो तो स्वाध्याय करने बैठ जाना स्वाध्याय में मन न लगे तो मंदिर में चले जाना और यदि मंदिर में भी गुस्सा न थमे तो गुरू के पास चले जाना या उस स्थान को छोड़कर मौन ले लैना लेकिन जीवन में कभी किसी को अपना वैरी मत वनाना, भूल हो जाऐ तो झुककर माफी मांग लैना उपरोक्त उदगार आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने प्रात:कालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किये।
आचार्य श्री ने कहा कि बलवान वह व्यक्ति नहीं जो कि शक्ती से बलवान है बल्कि वीर वह है जो शक्तिशाली होते हुये भी कमजोर पर अस्त्र न चलावें उन्होंने मृतक उपदेश और जीवंत उपदेश में अंतर बताते हुये कहा कि आज मुकुट सप्तमी पर कयी मां वहनों ने उपवास किया होगा हे मां आपने आज घर में भोजन नहीं किया उपवास किया है, तो किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाकर आपने भोजन करा दिया जिसको भोजन की आवश्यकता है तो यह आपका जीवन्त उपदेश हो जाऐगा। उन्होंने कहा ‘भगवान की आराधना और पूजन करने बाला परंपरा से मोक्ष जा सकता है लेकिन बलवान वह होते है जो बल होते हुये भी कषाय को पी जाते है।
उन्होंने कहा कि भगवान पारसनाथ के जीव ने कमठ के आतंक को एक भव नहीं वल्कि दस भव तक सहा वह कमठ उपसर्ग करता गया और वह उन उपसर्गों को सहते गये उन्होंने कभी भी प्रतिकार नहीं किया और एक दिन ऐसा आया कि जब वह तपस्या कर रहे थे और कमठ का वह जीव जो कि उनका चचेरा भाई जो कि व्यंतर देव था उसने पारस प्रभु को देखा और उसका बैर भाव जाग उठा और उसने ओले शोले पत्थर पानी की बौछार शुरू कर दी लेकिन प्रभु समता भाव धारण कर अपनी तपस्या में और ज्योती लीन हो जाते है।” किसी को झुकाना चाहते हो तो उसे सिर पकड़कर नहीं झुकाइये वल्कि उस विपत्ति को भी ज्ञायक भाव से देखिये उस उपसर्ग को पारसनाथ समता के साथ सहा और वह पारसनाथ वन गये, आखिर कर उपसर्ग सौधर्म इंद़ ने दूर किया
दूसरे पर अस्त्र चला दैना कठिन नहीं है अपने अंदर के विकारों को निकाल दैना कठिन है आपकी चर्या ऐसी हो कि उसमें आपका जीवन्त उपदेश दिखे यदि आप श्री सम्मेदशिखर की वंदना करने टिरेन से जा रहे है और आपने सांयकाल सूर्यास्त से पहले अपना भोजन निकाल लिया और यदि किसी नल की टोंटी पर पानी पीने से पहले यदि आपने उस पर छन्ना लगा दिया तो यह जीवन्त धर्म प्रभावना होगी और किसी को परिचय देंने की आवशकता नहीं पड़ेगी सामने देखने वाला व्यक्ति समझ जाऐगा कि आप जैन हो। उन्होंने कहा कि किसी से विरोध करके नहीं जीना, जीवन का सुख ही बड़ा नहीं है वैरी बनाकर मत जाना
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