कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने के लिए दुनिया भर में लगातार शोध जारी हैं। साल 2020 में BHU के न्यूरोलॉजिस्ट ने दावा किया था कि गंगा में पाए जाने वाले बैक्टिरियोफेज से कोरोना का उपचार संभव है, हालांकि इस दावे को आईसीएमआर ने खारिज कर दिया था। वहीं एक बार फिर BHU के न्यूरोलॉजिस्ट ने खानपान को लेकर चेतावनी दी है। इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बनारस यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर वीएन मिश्रा का कहना है कि डायट में फैट के बिल्कुल भी सेवन न करने से यंगस्टर्स आने वाले समय में अपनी हेल्थ को रिस्क में डाल सकते हैं।
न्यूरोलॉजिस्ट का कहना है कि पिछले कुछ सालों में यंगस्टर्स और टीनएजर्स पर इंटरनेट या कहें डिजिटल मीडिया पर वायरल हो रही हेल्थ से रिलेटिड सामग्री का बहुत असर पड़ रहा है जिसे फॉलो कर वे अपनी सेहत के प्रति सजग हो रहे हैं। वे ऐसी चीजों को देख बिना फैक्ट को जांचे-समझे अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में शामिल नहीं करने का फैसला लेते हैं, जो कि उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसा कर भले ही वे वेट गेन न कर पाएं लेकिन दूसरी बीमारियों को न्यौता जरूर देते हैं।
घी खाने से कॉन्स्टिपेशन से राहत मिलती है
आपने कई लोगों से सुना होगा कि भोजन के साथ घी खाने से पेट आसानी से साफ़ हो जाता है। अगर आप अभी भी अपने कॉन्स्टिपेशन से राहत के लिए यह नुस्खा आजमाना चाहते हैं, तो अपने खाने में कम मात्रा में घी मिलाकर ट्राई करें। सिर्फ 2 चम्मच घी आपके लिए पर्याप्त होगा। हालांकि, यदि आपको पीसीओडी, मोटापा, डायबिटीज़, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से परेशान हैं या किसी विशेष डायट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपके डायटिशन या डॉक्टर से पूछना बेहतर है कि क्या आपको कॉन्स्टिपेशन से राहत के लिए ज़्यादा घी खाना चाहिए। कभी-कभी क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन से राहत के लिए ज़्यादा फाइबर खाना काफी नहीं होता। आपको इसके साथ किसी और दवा की भी ज़रूरत पड़ सकती है।
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