काठमांडो। कोविड-19 महामारी (covid-19 pandemic) का हवाला देते हुए बीजिंग (Beijing) ने नेपाल-चीन सीमा (Nepal-China border) पर पारगमन बिंदुओं पर बीते दो वर्षों से अघोषित नाकाबंदी (undeclared blockade) कर रखी है। इस वजह से नेपाली व्यापारी (nepali businessmen) भीषण आर्थिक संकटों (dire economic woes) से गुजर रहे हैं और आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं। चीन ने पिछले दो वर्षों से केवल कुछ कंटेनरों को ही नेपाल-चीन सीमा पर पारगमन बिंदुओं को पार करने की अनुमति दी गई है।
स्वेट बरहा एंटरप्राइजेज के मालिक सुदर्शन घिमिरे ने इसी साल छह सितंबर को आत्महत्या कर ली। नेपाल के बाजार में चीनी सामानों के आयात और आपूर्ति में शामिल युवा उद्यमी हरे राम पौडेल ने 13 अक्तूबर, 2020 को आत्महत्या कर ली थी। उनका सामान नेपाल-चीन सीमा पर महीनों तक अटका रहा। उनके ऊपर भारी मात्रा में ऋण था। वे दोहरे जाल में फंसे हुए थे। एक ओर, वे एक वित्तीय संकट से गुजर रहे थे, दूसरी ओर बैंक और अन्य साहूकार अपना बकाया मांग रहे थे।
दिसंबर 2019 में महामारी फैलने के बाद से चीन सीमा से होने वाला नेपाल का व्यापार प्रभावित हुआ है। दोनों देशों के बीच व्यापार को सुगम बनाने के लिए कई बैठकें और चर्चाएं आयोजित हो चुकी हैं। सीमा को दो दिशाओं में संचालित करने के लिए एक समझौता भी हुआ, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में नेपाल का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने दोनों उत्तरी बंदरगाहों से आयात और निर्यात को आसान बनाने और समस्या को दूर करने के उपाय करने का आश्वासन दिया था। लेकिन सीमा प्रतिबंधों में अब तक ढील नहीं दी गई है। नेपाल के विदेश मंत्री डॉ. नारायण खड़का ने पिछले अगस्त में चीन की यात्रा की थे। उन्होंने सीमा मुद्दे पर चीन के साथ चर्चा की थी, लेकिन उसका भी कोई परिणाम अब तक दिखाई नहीं दिया है।
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