काठमांडू। नेपाल सरकार महिलाओं के बचाव में एक नया नियम लेकर आई है, जिसके तहत अगर किसी महिला को विदेश की यात्रा करनी है तो उसे अपने परिवार और स्थानीय वार्ड से अनुमति लेनी होगी। इस कानून के तहत 40 साल की उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया है। नेपाल में अधिकारियों ने इस नए नियम का समर्थन किया है।
अधिकारियों का कहना है कि कमजोर नेपाली महिलाओं को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाने के लिए इस नए नियम को लाया गया है। नेपाल के आव्रजन विभाग के महानिदेशक रमेश कुमार ने बताया कि मानव तस्कर विदेशों में आकर्षक नौकिरयों का दावा कर कमजोर, अशिक्षित और गरीब तबके की महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं।
रमेश कुमार ने बताया कि इन महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है और इसके अलावा कई तरह के जुल्म किए जाते हैं। रमेश कुमार ने कहा कि विदेश यात्रा के लिए 40 साल से कम उम्र वाली महिलाओं को ऐसे दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह नया नियम सिर्फ उन महिलाओं पर लागू होगा जो कमजोर हैं औऱ पहली बार विदेश यात्रा कर रही हैं।
इसके अलावा यह नियम खासकर अकेली और खतरनाक अफ्रीकी और खाड़ी देशों के लिए लागू किया गया है, जहां नेपाली महिलाओं को काम करने का परमिट नहीं मिलता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार के आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में 15,000 महिलाओं और 5,000 लड़कियों समेत लगभग 35,000 लोगों की तस्करी की गई थी।
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव की तीखी आलोचना की है। आलोचकों ने सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक इस नए नियम के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है। कार्यकर्ताओं ने इस नियम को असंवैधानिक बताया है और कहा है कि ये महिलाओं की आवाजाही की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार के हनन की कोशिश है।
विदेश मे महिलाओं के जाने पर रोक लगाने वाली सरकार का कहना है कि मौजूदा समय में नेपाल के ज्यादातर प्रवासी श्रमिक पुरुष हैं। नेपाल लेबर माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, देश में 35 लाख लोगों को विदेश में काम करने के लिए श्रमिक परमिट जारी किए गए हैं। इनमें से महिलाओं की संख्या केवल पांच फीसदी है। इस नए नियम को लागू करने के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में यह लागू हो जाएगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved