नई दिल्ली । कहावत है… पड़ोसी से दोस्ती रहे या ना रहे, वो खुशहाल रहे, तो समाज खुशहाल रहता है. लेकिन भारत के पड़ोसी देशों के साथ ऐसा नहीं है. श्रीलंका (Sri Lanka) की अर्थव्यवस्था (Economy) चौपट हो गई है, महंगाई चरम पर पहुंच गई है. एक कप चाय के लिए लोगों को 100 रुपये (श्रीलंकाई करेंसी) चुकाने पड़ रहे हैं. देश का विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) निगेटिव हो गया है.
वहीं पाकिस्तान (Pakistan) की भी आर्थिक सेहत बहुत बेहतर नहीं है, कर्ज के बल पर पाकिस्तान में सब कुछ टिका है. इस बीच अब नेपाल (Nepal) की भी अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है. नेपाल की आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुकी है. जिसके बाद नेपाल की सरकार और नेपाल राष्ट्र बैंक (Nepal Rastra Bank- NRB) द्वारा फटाफट फैसले लिए जा रहे हैं.
डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए उपाय
गंभीरता को देखते हुए NRB ने खत लिखकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय से कहा है कि पेट्रोलियम उत्पाद के आयात को नियंत्रित करें. साथ ही बैंकों को आदेश दिया गया है कि वे बेवजह के लोन देने से बचें. 27 वाणिज्यिक बैंकों के साथ बैठक में NRB ने कहा कि खासकर वाहन लोन या गैर-जरूरी लोन देने से बचें. कहा जा रहा है कि नेपाल केंद्रीय बैंक का यह फैसला डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए है.
बता दें, आयातित पेट्रोलियम के लिए नेपाल सरकार हर महीने भारत को 24-29 अरब रुपये का भुगतान करता है.
इस बीच अब नेपाल की सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को रोकने के लिए विलासिता की वस्तुओं (Luxury Items) के आयात पर बैन लगा दिया है. इस समय नेपाल सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती विदेशी मुद्रा भंडार का सही से प्रबंधन करना है. काठमांडू से छपने वाले अंग्रेजी अखबार myRepublica ने 7 अप्रैल को NRB के प्रवक्ता गुनाकर भट्टा से बातचीत के आधार पर ये रिपोर्ट पब्लिश की है.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी
उन्होंने कहा कि सरकार लग्जरी वस्तुओं के इम्पोर्ट पर बैन लगाकर हालात को सुधारने की कोशिश कर रही है. क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है. इसलिए ये कदम तुरंत उठाने का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि अंदरुनी हालात को सुधारने के लिए कुछ वस्तुओं के आयात को रोकना पड़ा है.
NRB के प्रवक्ता की मानें तो आर्थिक संकट के कारण ये कदम नहीं उठाए गए हैं. साथ ही उन्होंने लोगों से कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं, जिससे घबराने की जरूरत नहीं है. गुनाकर भट्टा ने कहा कि NRB के पास 6 से 7 महीने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के आयात को बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार है. पिछले कुछ दिनों में अर्थव्यवस्था ने सकारात्मक संकेत दिए हैं.
जब उनसे पूछा गया है कि लोग तेजी से रोजगार के लिए देश छोड़ रहे हैं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कदम उठाए जा रहे हैं, और जल्द सुधार देखने को मिलेंगे.
आयात के लिए बैन आइटम
नेपाल सरकार ने साइकिल, डिजाइन वाहन, मोपेड और आवश्यक मोटर उपकरण, चावल, कपड़ा उत्पाद, मशीनरी और स्पेयर पार्ट्स, सोना, धान, बिजली के उपकरण, रेडीमेड कपड़े, चांदी और धागे के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इसके अलावा सीमेंट, खिलौने, जार, खेल के सामान और संबंधित वस्तुओं, पत्थर की सजावट सामग्री, चांदी, चांदी की नक्काशीदार सामग्री, चिमनी के बर्तन, फर्नीचर और संबंधित वस्तुओं के आयात के लिए भी Letter of Credit (LC) खुला नहीं होगा. यानी अगले आदेश तक आयात प्रतिबंधित रहेगा.
बैन वस्तुओं की लंबी लिस्ट
वहीं लकड़ी, हेयर क्रीम और शैंपू, परफ्यूम, वॉकिंग स्टिक, शूज, मेकअप आइटम, दांतों के लिए ब्रेसेस, लकड़ी का कोयला और फर्नीचर, छाता और बुनाई के कपड़े के आयात के लिए भी LC नहीं खोला जाएगा. साथ ही पौधे, मिर्च, मछली, सब्जियां और नट्स, डेयरी उत्पाद, सुपारी, छोले, प्राकृतिक शहद और अंडे, केले और चिप्स, मांस, ऑप्टिकल, चिकित्सा और शल्य चिकित्सा उपकरण सहित कई वस्तुओं के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
नेपाल इनमें से अधिकतर सामान भारत से आयात करता है. हालांकि इस बीच नेपाल के वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने आश्वासन दिया है कि देश की अर्थव्यवस्था श्रीलंका की तरह नहीं गिरेगी. उन्होंने श्रीलंका से नेपाल की आर्थिक सेहत की तुलना को गलत बताया है.
नेपाल के वित्त मंत्री की मानें को श्रीलंका की तरह नेपाल विदेशी कर्ज के बोझ से दबा नहीं है. साथ ही अर्थव्यवस्था में उत्पादन और राजस्व प्रणाली के मामले में नेपाल की स्थिति श्रीलंका की तुलना में बेहतर है.
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