नई दिल्ली । भारत का पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) भी आर्थिक मोर्चे पर परेशानी का सामना कर रहा है. विदेशी मुद्रा संकट और वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों (petroleum products) की आसमान छूती कीमतों ने सरकार को खर्चों में कटौती के लिए विवश कर दिया है. नेपाल सरकार ने अपने मंत्रालयों और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के ईंधन भत्ते (Fuel Allowance) में 20 प्रतिशत की कटौती की है.
कैबिनेट की बैठक में फैसला
नेपाल के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला 13 अप्रैल को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया था. उन्होंने कहा कि बढ़ते व्यापार घाटे, प्रवासी नागरिकों द्वारा भेजी जाने वाली राशि में कमी और विदेशी मुद्रा भंडार पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विभिन्न मंत्रालयों, एजेंसियों और सार्वजनिक व राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को ईंधन बजट में 20 प्रतिशत की कटौती करनी होगी.
कोरोना ने पहुंचाया नुकसान
अधिकारियों ने कहा कि सरकार का यह फैसला विकास परियोजनाओं, शांति और सुरक्षा, आवश्यक सेवाओं तथा आगामी स्थानीय चुनावों आदि पर लागू नहीं होगा. गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच एक महीने से भी अधिक समय से युद्ध चल रहा है और इस वजह से तेल की वैश्विक कीमतों में भारी उछाल आया है. वहीं, पर्यटन पर निर्भर नेपाल कोरोना महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा ठप होने के बाद से अपने विदेशी भंडार में गिरावट का अनुभव कर रहा है.
सरकार ने ‘अपनों’ से की ये अपील
विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए, नेपाल सरकार ने विदेशों में रह रहे नेपाली नागरिकों से देश के बैंकों में डॉलर खाते खोलने और निवेश करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही सरकार ने महंगी कारों, सोने और अन्य महंगे सामान के आयात को भी कठोर बना दिया है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार कुछ और खर्चों में कटौती का ऐलान कर सकती है.
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